Delhi Election 2025: दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. दोनों दल इंडिया गठबंधन में शामिल हैं. आम आदमी पार्टी आरोप लगा रही है कि कांग्रेस को भाजपा का समर्थन हासिल है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि आप के पूर्व में किया गया गठबंधन पार्टी की भूल थी. दिल्ली में दोनों दलों के बीच सियासी बयानबाजी और मुफ्त के वादों के घोषणा को लेकर होड़ मची है. कांग्रेस ने दिल्ली में महिलाओं के लिए प्यारी दीदी और स्वास्थ्य बीमा योजना की घोषणा की है. कांग्रेस पार्टी दिल्ली में तीन और गारंटी की घोषणा करेगी. लेकिन दिल्ली चुनाव में इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों का कांग्रेस की बजाय आम आदमी पार्टी की ओर झुकाव देखा जा रहा है.
समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की है. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इसके लिए अखिलेश यादव और ममता बनर्जी का आभार जताया है. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि उम्मीद है कि दिल्ली में एक बार फिर आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी और दिल्ली से भाजपा का सफाया हो जायेगा. . इससे पहले सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा था कि वह आम आदमी पार्टी के नेताओं के साथ मंच भी साझा करेंगे. क्योंकि दिल्ली में भाजपा को सिर्फ आम आदमी पार्टी ही हरा सकती है.
क्या इंडिया गठबंधन में अकेली पड़ रही है कांग्रेस
लोकसभा चुनाव इंडिया गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा और नतीजे उम्मीद से बेहतर आए. कांग्रेस को अकेले 99 सीटों पर जीत मिली. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली जीत के मोमेंटम को कांग्रेस विधानसभा चुनाव में बरकरार नहीं रख पायी. हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा. सहयोगी दलों ने हार के लिए कांग्रेस के मनमाने रवैये को जिम्मेदार ठहराया. इसके बाद महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. इस हार के बाद इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को लेकर सहयोगी दलों ने सख्त रुख दिखाना शुरू कर दिया. यही नहीं इंडिया गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी को सौंपने की बात कई सहयोगी दलों की ओर से कही गयी.
अब दिल्ली चुनाव में इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल कांग्रेस की बजाय आम आदमी पार्टी का समर्थन कर कांग्रेस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. जानकारों का कहना है कि इंडिया गठबंधन में शामिल कई सहयोगी दल नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस मजबूत हो. कांग्रेस के मजबूत होने से सपा, तृणमूल कांग्रेस, राजद जैसे दलों का मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर है. इसलिए सहयोगी दल कांग्रेस को अधिक मजबूत होता हुआ नहीं देखना चाहते हैं. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव में सपा में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी.