लोकसभा से महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद गुरुवार को इसे राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश किया गया. इसपर पक्ष और विपक्ष में जमकर तीखी बहस हुई. इस बीच राज्यसभा में बिल पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने बीजेपी पर जोरदार हमला किया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के 2010 में महिला आरक्षण बिल के खिलाफ दिए गए बयान को कोट किया.
डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा, बीजेपी महिला आरक्षण बिल पर गंभीर नहीं
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने महिला आरक्षण बिल को लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि इस बिल को लेकर बीजेपी गंभीर नहीं है.
योगी के बयान को कोर्ट करने के लिए डेरेक ओ’ब्रायन ने अखबार में छपी खबर का दिया हवाला
डेरेक ओ’ब्रायन ने योगी आदित्यनाथ की टिप्पणी को कोट करते हुए 2010 में हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक खबर का हवाला दिया. उन्होंने राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा, महिलाओं को जितने भी संघर्ष और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, वह महिलाओं की वजह से नहीं है. यह पुरुषों और महिलाओं के प्रति पुरुषों के दृष्टिकोण के कारण है, उन्होंने पूर्व भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों का जिक्र किया. उन्होंने आगे कहा, मैं पूर्व कुश्ती प्रमुख पर समय बर्बाद नहीं करना चाहता लेकिन. मैं हिंदुस्तान टाइम्स से उद्धृत कर रहा हूं, ‘दिल्ली में वातानुकूलित कमरों में बैठे लोग सार्वजनिक नीति तय नहीं कर सकते, अगर यह विधेयक चला गया तो भारतीय राजनीतिक व्यवस्था डूब जाएगी. ओ’ब्रायन ने कहा, यह बात किसी और ने नहीं बल्कि यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री ने कही है.
2010 में क्या कहा था योगी आदित्यनाथ ने
ओ’ब्रायन ने बताया, 2010 में, जब महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था, तो योगी आदित्यनाथ ने कहा था, अगर यह विधेयक पारित हुआ तो भारतीय राजनीतिक व्यवस्था डूब जाएगी. अगर पुरुषों में स्त्रियोचित गुण विकसित हो जाते हैं, तो वे देवता बन जाते हैं, लेकिन अगर महिलाओं में मर्दाना गुण विकसित हो जाते हैं वे राक्षस बन जाते हैं. महिला मुक्ति के पश्चिमी विचारों का भारतीय संदर्भ में उचित विश्लेषण किया जाना चाहिए.
LIVE: Address on Women’s Reservation Bill | Parliament https://t.co/VsRwr9sqy2
— Derek O'Brien | ডেরেক ও'ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 21, 2023
जनगणना व परिसीमन के पहले ही महिला आरक्षण कानून लागू किया जाए: विपक्ष
लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के प्रावधान वाले विधेयक को सत्तारूढ़ भाजपा का ‘चुनावी एजेंडा’ और ‘झुनझुना’ करार देते हुए विपक्षी दलों ने गुरुवार को राज्यसभा में मांग की कि इस प्रस्तावित कानून को जनगणना एवं परिसीमन के पहले ही लागू किया जाना चाहिए. विपक्षी दलों के सदस्यों ने साथ ही यह दावा भी किया कि सरकार चुनावी फायदे के लिए यह विधेयक लेकर आई जबकि इसका लाभ लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा.
वेणुगोपाल ने बिल देर से लाने को लेकर सरकार पर उठाया सवाल
कांग्रेस सदस्य केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह सरकार 2014 में ही सत्ता में आ गई थी और उसने महिला आरक्षण लागू करने का वादा भी किया था. उन्होंने सवाल किया कि सरकार को इतने समय तक यह विधेयक लाने से किसने रोका. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार क्या नए संसद भवन के बनने की प्रतीक्षा कर रही थी या इसमें वास्तु से जुड़ा कोई मुद्दा था. उन्होंने पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल में बनाए गए विभिन्न कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि वे कानून लोगों के जीवन में बदलाव लाने वाले थे और तत्कालीन सरकार द्वारा दिल से लाए गए कानून थे जबकि यह विधेयक दिल के बदले दिमाग का उपयोग कर लाया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है. उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देती है और महिलाओं को अधिकार एवं सम्मान देने की बात करती है लेकिन मणिपुर जैसे गंभीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने 100 दिनों के बाद भी कोई टिप्पणी नहीं की.
डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा वह इस विधेयक का समर्थन करते हैं
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि वह इस विधेयक का समर्थन करते हैं लेकिन सरकार को सहयोग और साझेदारी का रास्ता अपनाने की जरूरत है, न कि कमांडो शैली में गोपनीयता, आश्चर्यजनक और चुपके से विधेयक लाने की. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस पहले से ही अपनी पार्टी में महिला आरक्षण सुनिश्चित कर रही है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने 2014 में ही 41 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दिया था. उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ चाहता है कि सरकार इस विधेयक को 2024 के चुनाव में लागू करे और मौजूदा विधेयक के प्रावधान 334 ए हटा दिए जाएं.