नई दिल्ली : कोरोना महामारी के तीन साल बीत जाने के बाद भी लोगों में इसके संक्रमण फैलने को लेकर लोगों में भ्रम और संदेह की स्थिति अब भी बरकरार है. भारत में अब भी कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार सामने आ रही है. सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों ने अनुसार, देश में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना के कुल 4,282 नए मामले सामने आए हैं. इस दौरान संक्रमण से करीब 14 अन्य लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 5,31,547 हो गई है. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लोगों में यह संदेह पैदा होता है कि क्या जब कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव आदमी के संपर्क में आता है, तो क्या वह बीमार हो जाता है? तो आइए, जानते हैं कि विशेषज्ञ क्या कहते हैं.
लक्षण तुरंत नहीं दिखाई देगा
कोरोना संबंधित विशेषज्ञों का कहना है कि जब कोई व्यक्ति कोरेाना वायरस की चपेट में आता है, तो वायरस के संपर्क में आने के 2 से 14 दिनों के बाद लक्षण दिखाई देने लग सकते हैं. कोरोना का वायरस हर किसी को अलग तरह से प्रभावित करता है. बेंगलुरु स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन के सलाहकार डॉ प्रमोद वी सत्या के हवाले से फाइनेंशियल टाइम्स की अंग्रेजी वेबसाइट पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि आपका बिना किसी सुरक्षा के (मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग) किसी कोरोना संक्रमित रोगी के साथ निकट संपर्क है, तो आपके लिए वायरस संक्रमित होना संभावित है, लेकिन इसका लक्षण तुरंत नहीं दिखाई देगा.
नौ दिन के बाद दिखाई देता लक्षण
डॉ प्रमोद वी सत्या ने कहा कि आम तौर पर यह इन्क्यूबेशन पीरियड के कारण ऐसा है. किसी व्यक्ति के शरीर में वायरस के प्रवेश करने और लक्षणों के प्रकट होने में लगने वाले समय को इन्क्यूबेशन पीरियड कहते हैं. आमतौर पर यह अवधि 4 से 14 दिनों तक की रहती है. इसके लक्षण 9 दिन बाद दिखाई देते हैं. यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि भले ही इस इन्क्यूबेशन पीरियड के दौरान किसी व्यक्ति में इसका लक्षण न हों, फिर भी वह वायरस को दूसरों तक पहुंचा सकता है. अधिकांश कोरोना का संक्रमण इसी प्रकार से फैलता है. इसलिए वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मास्क पहनना और सामाजिक दूरी का पालन करने बेहद महत्वपूर्ण है.
ठीक होने के बाद दोबारा जांच कराना जरूरी नहीं
डॉ. सत्या ने यह भी कहा कि वायरस से ठीक होने के बाद अब कोरोना का दोबारा टेस्ट कराना जरूरी नहीं है. उन्होंने कहा कि परीक्षण के दौरान यह पाया गया है कि कोरोना प्रोटीन यह निर्धारित नहीं कर सकता है कि वायरस अभी भी सक्रिय है या नहीं. इसलिए कोरोना से रिकवरी की पुष्टि करने के लिए वायरस के लिए नेगेटिव टेस्ट की आवश्यकता नहीं है. इसके बजाय जो व्यक्ति वायरस से संक्रमित हुआ है, उसे लक्षणों की शुरुआत से सात दिनों तक अलग रहने की सलाह दी जाती है. इस अवधि के बाद वह संक्रामक नहीं रहता और बिना किसी चिंता के अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं. यह साबित करने के लिए कि मरीज संक्रमण से उबर चुका है, दोबारा टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है.
भारत में कोरोना के 4,282 नए मामले
भारत में सोमवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 4,282 नए मामले सामने आए हैं. वहीं, उपचाराधीन मरीजों की संख्या घटकर 47,246 रह गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सोमवार सुबह आठ बजे के अपडेट किए गए आंकडों के अनुसार, संक्रमण से 14 और लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 5,31,547 हो गई है. वहीं, संक्रमण से मौत के आंकड़ों का दोबारा मिलान करते हुए केरल ने वैश्विक महामारी से जान गंवाने वाले मरीजों की सूची में छह नाम और जोड़े हैं. रविवार को देश में संक्रमण के 5,874 मामले सामने आए, वहीं उपचाराधीन मरीजों की संख्या 49,015 थी.
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.