जम्मू में ड्रोन हमले के बाद कई बार इन इलाकों में ड्रोन नजर आये. ड्रोन को लेकर नीति क्या हो इसे लेकर केंद्र सरकार में चर्चा हो रही है. ‘हमला करने वाले ड्रोन’ से किस तरह निपटा जाये इसकी भी रणनीति तैयार हो रही है. ड्रोन से इस तरह के हमलों से बचने के लिए जल्द ही एक नीति तैयार होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना के बाद एक उच्चस्तरीय बैठक बुलायी जिसमें गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई प्रमुख मंत्रियों को शामिल किया. इस बैठक में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर नियम बनाने पर चर्चा हुई.
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ड्रोन को लेकर भविष्य में क्या खतरे हो सकते हैं इसे लेकर भी रणनीति बनायी गयी. जम्मू में ड्रोन से हुए आतंकी हमलों की जांच भी जारी है. ऐसे में सरकार इस तरह के हमलों की आशंकाओं पर भी पैनी नजर रख रही है.
प्रधानमंत्री द्वारा बुलायी गयी उच्चस्तरीय बैठक में हवाई प्रबंधन, ड्रोन का उपयोग , भविष्य के डिलीवरी सिस्टम के तौर पर ड्रोन की उपयोगिता, उड़ान भरने की अनुमति और इससे जुड़े सुरक्षा मुद्दों पर भी चर्चा की गयी.
इस नयी नीति को लेकर सेना के तीनों प्रमुख अंगों से भी राय ली जा रही है. रक्षा मंत्रालय और सेना की तीनों सेवाएं ड्रोन की नीति पर ठोस रणनीति बनाने में सरकार की मदद करेगी. पीटीआई ने बताया कि तीनों सेनाओं को ड्रोन हमले जैसी नये दौर की चुनौतियों का सामना करने पर पर्याप्त रूप से ध्यान के लिए कहा गया है. साथ ही इस तरह के हमलों को रोकने के लिए जरूरी उपकरणों खरीदने के लिए भी कहा गया है.
इस नयी रणनीति को लेकर बैठकों का दौर शुरू हुआ है. अभी कई दौर की बैठक होगी खबर यह भी है कि तीनों सेनाओं के प्रमुख भी आपस में बैठकर सुरक्षा को लेकर नीति तैयार करेंगे. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के प्रमुख जी सतीश रेड्डी ने पहले ही बताया है कि काउंटर ड्रोन टेक्नोलॉजी हमारे पास है, जो सशस्त्र बलों को छोटे UAS का पता लगाने और उन्हें खत्म करने में मदद कर सकती है.
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ड्रोन से आतंकी हमला करने की यह रणनीति बेहद आधुनिक है. सरकार को इससे निपटने के लिए तकनीक की आवश्यकता है. जम्मू में हुए आतंकी हमले को लेकर कहा जा रहा है कि इसमें आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है.