सुप्रीम कोर्ट ने आज राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह आदेश दिया है कि वे कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए या त्यागे गये बच्चों के अवैध रूप से गोद लेने की प्रक्रिया पर रोक लगायें.
जस्टिस एल नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने महामारी से प्रभावित बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह कहा है कि वे ऐसे संगठनों और व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करें जो अनाथ बच्चों को गैरकानूनी तरीके से गोद लेने में लिप्त पाये जा रहे हैं.
कोर्ट को यह सूचना दी गयी थी सोशल मीडिया में ऐसे कई बच्चों को गोद लेने का विज्ञापन प्रसारित किया जा रहा है जिनके माता-पिता दोनों की या फिर माता-पिता में से किसी एक की मौत कोरोना महामारी के दौरान हो गयी है.
नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स ने कोर्ट को बताया कि कई बच्चों को कई संगठन और व्यक्ति अवैध रूप से गोद ले रहे हैं. इन बच्चों को गोद लेने का विज्ञापन प्रकाशित कर वे मोटी रकम कमा रहे हैं जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में है.नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स की शिकायत के बाद कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर यह आदेश जारी किया है.
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अनाथ हुए बच्चों की शिक्षा नहीं रूकनी चाहिए. इसके लिए यह देखा जाये कि जो बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं उनकी शिक्षा जारी रहे और जो बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं उनकी शिक्षा ना रूके. इसके लिए राज्य सरकार व्यवस्था करे.
नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडिफिट दायर कर यह कहा है कि एक अप्रैल 2020 से एक जून 2021 तक 3,621 बच्चे अनाथ हो गये है, 26,176 ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खोया है और 274 बच्चों को त्याग दिया गया है.
Posted By : Rajneesh Anand