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देश में 33 एलीफैंट रिजर्व हैं मौजूद, पिछले तीन साल में हाथियों के हमले में 1600 लोगों की गयी जान

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाथियों के अधिक आबादी वाले 15 राज्यों में राज्य सरकारों को 150 एलीफैंट कॉरिडोर को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है. पढ़ें ये खास खबर

नयी दिल्ली : हाथियों के हमले के कारण अक्सर जान और माल के नुकसान की खबरें आती रहती है. साथ ही हाथियों के भी हादसे में मारे जाने की खबर आती है. जंगलों में अतिक्रमण के कारण हाथियों के मूवमेंट करने की जगह कम हुई है. ऐसे में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हाथियों के अधिक आबादी वाले 15 राज्यों में राज्य सरकारों को 150 एलीफैंट कॉरिडोर को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है. इसके अलावा हाथियों के संरक्षण और आम लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए एलीफैंट रिजर्व बनाया गया है. देश के 14 राज्यों में 33 एलीफैंट रिजर्व बनाया जा चुका है. ये टाइगर रिजर्व, वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972, भारतीय वन कानून 1927 और राज्यों के नियम के दायरे में काम करते हैं.

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इसके तहत एलीफैंट रिजर्व में कोई भी इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य विकास योजनाओं का काम इन नियमों के तहत ही किया जा सकता है. अगर राज्यवार एलीफैंट रिजर्व की बात करें तो झारखंड के सिंहभूम में यह 13440 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. देश में एलीफैंट रिजर्व कुल 80777 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यह रिजर्व असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़ मेघालय, नागालैंड, तमिलनाडु जैसे राज्यों में हैं. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन साल में देश में हाथियों के हमले में लगभग 1600 लोगों को जान गंवानी पड़ी है. झारखंड में इस दौरान 303 लोगों की जान गयी. जबकि असम में 233, केरल में 67, ओडिशा में 353 लोगों को जान गंवानी पड़ी.

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