17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Explainer : दिल्ली में बारहखंभा रोड को सभी जानते हैं, लेकिन 12 खंभा कहां है? क्या आप जानते हैं?

दिल्ली में पुरातात्विक इमारतों का इतिहास हजारों साल पुराना है. यहां सैकड़ों मकबरे हैं, हवेलियां हैं, बावलियां हैं और दिल्ली के ऐतिहासिक इमारतों की देखरेख और रखरखाव के लिए राजीव गांधी के शासनकाल में इंडियन नेशनल ट्रस्ट और आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज बनाया गया था.

नई दिल्ली : भारत की राजधानी दिल्ली और दिल्ली के दिल में बसने वाला कनॉट प्लेस. इस कनॉट प्लेस में बारहखंभा रोड सबसे लोकप्रिय और बड़ा लैंडमार्क है. इस बारखंभा रोड को दिल्ली के लोग ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजधानी को जानने वाले देश के तमाम लोग जानते हैं. लेकिन, इस दिल्ली के बारहखंभा स्थल बहुत कम लोग ही जानते हैं. जब खुद दिल्ली में रहने वाले लोगों से पूछा जाता है कि बारहखंभा रोड को तो आप जानते हैं, लेकिन बारहखंभा कहा हैं? इस सवाल के जवाब में लोग गोपालदास बिल्डिंग के सामने वाली इमारत के खंभों को ही बारहखंभा बता देते हैं, लेकिन यह हकीकत नहीं है. वास्तविकता कुछ और है. यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि दिल्ली में असली बारहखंभा स्थल कहां हैं? आइए, आज हम दिल्ली के बारहखंभा स्थल और उसके निर्माता के बारे में जानते हैं…

किसके नाम पर रखा गया बारहखंभा रोड

आर्यावर्त इंडियन नेशन डॉट कॉम के पत्रकार शिवनाथ झा ने दिल्ली की बारहखंभा रोड और बाहरखंभा स्थल को लेकर एक शोध रिपोर्ट पर आधारित वीडियो पोस्ट किया है. उन्होंने अपने वीडियो में कहा कि मैंने बाहरखंभा रोड पर खड़ा होकर तकरीबन सौ लोगों से पूछा कि जिसके नाम से बारहखंभा रोड बनी है, वह बारहखंभा कहां है? उन्होंने कहा कि कनॉट प्लेस से जब हम मंडी हाउस की ओर आगे बढ़ते हैं, तो लोग बारहखंभा रोड पर बाईं ओर गोपालदास बिल्डिंग की दीवार से सटाकर बनाए गए छोटे खंभों को ही बारहखंभा बताते हैं, जिसके नाम पर बारहखंभा रोड बनी है.

दिल्ली में कहां बना है बारहखंभा

शिवनाथ झा बताते हैं कि वर्ष 1950 के दशक में दिल्ली के कनॉट प्लेस में गोपालदास बिल्डिंग बनी है आर्केड और विजय के नाम से. वे बताते हैं कि वर्ष 1956 में बारहखंभा का वजूद क्या था, क्योंकि गोपालदास बिल्डिंग से जब हम निजामुद्दीन की तरफ देखते हैं, तो यहां से करीब साढ़े पांच किलोमीटर की दूरी पर हुमायूं का मकबरा या हुमायूं टॉम्ब है. यह हुमायूं का मकबरा दिल्ली के निजामुद्दीन में बनाया गया है और हुमायूं के मकबरे से दाईं तरह लोधी स्टेट की दिशा में बारहखंभा है. यह बात अलग है कि हुमायूं के मकबरे के पास वाला बारहखंभा आज से करीब 600 साल पहले का है.

बारहखंभा का निर्माण किसने कराया

पत्रकार शिवनाथ झा आगे कहते हैं कि कनॉट प्लेस का निर्माण 1933 में हुआ है. बारहखंभा का वजूद उससे पहले से है. उन्होंने बताया कि भारत के शासकों में शुमार सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक ने बारहखंभा का निर्माण कराया था, जो निजामुद्दीन में गोलचक्कर के पास हुमायूं के मकबरा के ठीक दाहिनी तरफ है. निजामुद्दीन के गोलचक्कर पर सब्जबुर्ज बना हुआ है. इस सब्जबुर्ज से बाईं ओर वाली सड़क निजामुद्दीन को इंडिया गेट से जोड़ती है और सब्जबुर्ज से दाहिनी तरफ वाली सड़क मथुरा रोड को जोड़ती है. सब्जबुर्ज के सामने वाला रास्ता लोधी एस्टेट की ओर चला जाता है. उन्होंने कहा कि जिस जमाने में बारहखंभा का निर्माण सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा बनाया गया होगा, उस वक्त कनॉट प्लेस से निजामुद्दीन के इलाके में बनाया गया बारहखंभा सीधा और स्पष्ट नजर आता होगा.

Also Read: रांची में है तीन हजार बहुमंजिली इमारतें, लेकिन ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट सिर्फ 103 के पास
क्यों बनाया गया बारहखंभा

दिल्ली में पुरातात्विक इमारतों का इतिहास हजारों साल पुराना है. यहां सैकड़ों मकबरे हैं, हवेलियां हैं, बावड़ियां हैं और दिल्ली के ऐतिहासिक इमारतों की देखरेख और रखरखाव के लिए राजीव गांधी के शासनकाल में इंडियन नेशनल ट्रस्ट और आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज बनाया गया था. इन दोनों संस्थाओं का गठन 1984 में किया गया था. इसके अलावा भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय भी इसकी देखरेख करता है. शिवनाथ झा कहते हैं कि इसाई धर्म के संस्थापक जीसस के अनुयायियों की संख्या 12 थी. इसके अलावा, 12 राशियां होती हैं, 12 ट्राइब्स होते हैं, स्त्री और पुरुष में 12 गुण होते हैं, 12 घंटों का दिन और 12 घंटों की रात होती है. इस प्रकार, हम देखें तो आदमी के जीवन में 12 की संख्या से अटूट संबंध है और इन्हीं चीजों के प्रतीक के तौर पर सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली में बारहखंभा नामक ऐतिहासिक इमारत का निर्माण कराया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें