चंडीगढ़ : पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) एसएस विर्क ने शनिवार को अजनाला घटना पर पुलिस की तैयारी पर ही सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि अजनाला घटना से निपटने के लिए पुलिस को बेहतर तरीके से तैयार रहना चाहिए था. उन्होंने कहा कि पंजाब ने ‘आतंकवाद के काले दिन’ देखे हैं. इसलिए प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अगुआ रहे पंजाब के पूर्व डीजीपी एसएस विर्क ने कहा कि भीड़ एकत्र करने वाली मानसिकता और इस तरह का खुला प्रदर्शन, लोकतंत्र और किसी भी राज्य की कानून व्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह के समर्थकों द्वारा अजनाला में पुलिस थाने पर हमला करने के एक दिन बाद पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने शुक्रवार को कहा था कि प्रदर्शनकारियों ने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को एक ढाल के रूप में इस्तेमाल किया था और पुलिसकर्मियों पर ‘कायरतापूर्ण’ तरीके से हमला किया था. इसमें छह लोग घायल हो गए थे.
अमृतपाल के समर्थकों ने गुरुवार को प्रदर्शन के दौरान पुलिस के बैरिकेड तोड़ दिये थे और अजनाला में पुलिस थाना परिसर में हंगामा किया था. इस दौरान कुछ समर्थकों के हाथों में तलवारें और बंदूकें थीं. समर्थक मांग कर रहे थे कि लवप्रीत सिंह उर्फ तूफान को रिहा किया जाए. अमृतपाल सिंह के सहयोगी लवप्रीत सिंह को शुक्रवार को जेल से रिहा कर दिया गया.
पंजाब के पूर्व डीजीपी एसएस विर्क ने शनिवार को कहा कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए राज्य पुलिस को और अधिक तैयार रहना चाहिए था. उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था से जुड़ी घटनाएं होती रहती हैं. लेकिन आपको हर घटना से सीखना होगा और अपनी कार्रवाई में सुधार करना होगा. उन्होंने कहा कि हमें सुनिश्चित करना होगा कि हम काले दिनों को दोबारा वापस नहीं लौटने दें. सरकार को यह संदेश देना है.
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विर्क ने कहा कि सरकार को यह रुख तय करना है कि वह कानून और व्यवस्था के उल्लंघन की अनुमति नहीं देगी. उन्होंने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि समय पर की गई कार्रवाई से स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सके. आपको ऐसे मुद्दों को गंभीरता से लेना होगा और उनसे दृढ़ता एवं प्रभावी ढंग से निपटना होगा.’