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Explainer: मैतेई और कुकी समुदाय क्यों बने हैं जान के दुश्मन? जानें क्या है विवाद का असली कारण

मैतेई मणिपुर का सबसे बड़ा समुदाय है. मैतेई का राजधानी इंफाल में प्रभुत्व है और इन्हें आमतौर पर मणिपुरी कहा जाता है. 2011 की जनगणना के अनुसार मैतेई राज्य की आबादी का 64.6 प्रतिशत हैं. हालांकि इसके बावजूद मणिपुर की भूमि के लगभग 10 प्रतिशत हिस्से पर ही उनका कब्जा है.

मणिपुर करीब 80 दिनों से हिंसा की आग में जल रहा है. कुकी और मैतेई समुदाय के लोग एक-दूसरे की जान के दुश्मन बन गये हैं. स्थिति इतनी खराब हो गयी है कि राज्य में शांति स्थापित करने के लिए सरकार को सेना की मदद लेनी पड़ी है. बावजूद राज्य में आये दिन हिंसा और प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं. अबतक इस जातीय हिंसा में 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं. राज्य से कई लोग पलायन कर अन्य राज्यों में शरणार्थी के रूप में रहने के लिए मजबूर हैं. दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराने के मामले ने मणिपुर में जारी हिंसा की आग में घी का काम किया है. इस मामले ने पूरे देश को आक्रोशित कर दिया है. तो आइये कुकी और मैतेई समुदाय के बीच जारी हिंसा की वास्तविक कारण पर नजर डालें.

कौन है कुकी समुदाय ?

कुकी एक जनजाति है, जो भारत के मणिपुर और मिजोरम राज्य के दक्षिण पूर्वी भाग में निवास करती है. कुकी भारत, बांग्लादेश, और म्यांमार में पाए जाने वाले कई पहाड़ी जनजातियों में से एक हैं. अरुणाचल प्रदेश को छोड़कर कुकी समुदाय के लोग उत्तर पूर्व भारत के करीब सभी राज्यों में मौजूद हैं. मणिपुर की कुल आबादी में नागा और कुकी की जनसंख्या लगभग 40 प्रतिशत. लेकिन मणिपुर की 90 प्रतिशत भूमि पर ये निवास करते हैं. ये दोनों समुदाय मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करती है.

कौन है मैतेई समुदाय

मैतेई मणिपुर का सबसे बड़ा समुदाय है. मैतेई का राजधानी इंफाल में प्रभुत्व है और इन्हें आमतौर पर मणिपुरी कहा जाता है. 2011 की जनगणना के अनुसार मैतेई राज्य की आबादी का 64.6 प्रतिशत हैं. हालांकि इसके बावजूद मणिपुर की भूमि के लगभग 10 प्रतिशत हिस्से पर ही उनका कब्जा है. मैतेई समुदाय के अधिकांश लोग हिंदू हैं. जबकि नागा और कुकी मुख्य रूप से ईसाई हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, मणिपुर में हिंदुओं और ईसाइयों की आबादी लगभग 41 प्रतिशत है.

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सियासी रूप से काफी मजबूत है मैतेई समुदाय

मैतेई समुदाय बड़ी आबादी के साथ-साथ मणिपुर की सियासत में भी अपनी मजबूत पकड़ रखता है. राज्य विधानसभा में मैतेई का प्रतिनिधित्व अधिक है. यही नहीं मौजूदा मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह भी मैतेई समुदाय से ही आते हैं. सियासी रूप से मैतेई समुदाय के लोग इसलिए अधिक मजबूत माने जाते हैं, क्योंकि राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें इंफाल घाटी क्षेत्र से हैं. और इन क्षेत्रों में ज्यादातर इन्हीं समुदाय के लोगों का कब्जा है. मैतेई अधिक शिक्षित हैं और राज्य के व्यापार और राजनीति में कुकी और नागाओं की तुलना में बेहतर प्रतिनिधित्व करते हैं.

कुकी और मैतेई में विवाद का क्या है कारण

कुकी और नगा पारंपरिक रूप से एक-दूसरे का विरोध करते आये हैं. हालांकि जब मामला मैतेई के खिलाफ आती है, तो दोनों समुदाय के लोग एकजुट हो जाते हैं और यही कारण है कि मैतेई समुदाय को दोनों से भिड़ना होता है. शुरुआत दिनों की बात करें, तो कुकी को मणिपुर की पहाड़ियों में मैतेई राजाओं ने ही बसाया था. ताकि वे इंफाल घाटी में मैतेई और घाटी पर आक्रमण करने वाले नागाओं के बीच एक बफर के रूप में काम कर सकें. 1993 में, मणिपुर में भयंकर नागा-कुकी हिंसा देखी गई जिसमें सौ से अधिक कुकी नगाओं द्वारा मारे गए. वर्तमान में मैतेई और कुकी के बीच संघर्ष की वजह आरक्षण है. पहाड़ियों में रहने वाले कुकी समुदाय सरकार की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल हैं, लेकिन मैतेई नहीं हैं. इसलिए मैतेई समुदाय के लोग लंबे समय से अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. दूसरी ओर कुकी और नगा का आरोप है कि विकास के रूप में अधिकांश मैतेई समुदाय को मिलता है. विवाद तब और बढ़ गयी, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भेजने को कहा था. कुकी और नगा मैतेई को एसटी का दर्जा देने के खिलाफ. उनका मानना है कि अगर मैतेई को एसटी का दर्जा मिल गया, तो जरूरत से ज्यादा नौकरियां और लाभ हासिल कर लेंगे.

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मणिपुर का कानून भी विवाद की वजह

मणिपुर में हिंसा और विवाद की एक और वजह है, वहां का कानून. जिसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न रह सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. जबकि पहाड़ियों में रहने वाले कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. इस बात को लेकर मैतेई समुदाय का आपत्ति है.

क्या हुआ था 3 मई को?

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च’ (आदिवासी एकजुटता मार्च) का आयोजित किया गया था. यह मार्च कुकी समुदाय के ओर से आयोजित किया गया था. इसी दौरान हिंसा भड़क उठी. राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं.

4 मई की घटना ने मणिपुर की हिंसा में किया आग में घी का काम

गौरतलब है कि मणिपुर में लगभग एक हजार लोगों की हथियारबंद भीड़ ने कांगपोकपी जिले के एक गांव पर हमला किया और मकानों में लूटपाट की, उनमें आग लगायी, हत्या की तथा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया. यह घटना 4 मई की बतायी जा रही है. इन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरा देश आक्रोशित है और घटना के विरोध में जगह जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इस मामले में 21 जून को एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसमें आदिवासी महिलाओं के अपहरण और उनसे शर्मनाक बर्ताव से पहले हुए जुल्म की दास्तां का उल्लेख है.

मणिपुर में जारी हिंसा को कम करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने किया था दौरा

मणिपुर में जारी हिंसा को कम करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरान किया था. उन्होंने वहां रहकर दोनों समुदाय के लोगों से बात भी की थी. बाद में राज्य में स्थिति सामान्य हो रही थी, लेकिन महिलाओं के साथ बर्बरता के बाद राज्य में दोबारा स्थिति खराब हो गयी.

मणिपुर मामले को लेकर सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन

मणिपुर में महिलाओं के साथ बर्बरता को लेकर सड़क से लेकर संसद तक विरोध प्रदर्शन जारी है. विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने मानसून सत्र के तीसरे दिन, सोमवार को भी मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद के दोनों सदनों में बयान देने और चर्चा की मांग जारी रखी. इन पार्टियों के सदस्यों ने अपनी इस मांग को लेकर संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई विपक्षी सांसदों ने उच्च सदन में कार्य स्थगन के प्रावधान वाले नियम 267 के तहत मणिपुर के मुद्दे पर चर्चा करने और प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग करते हुए नोटिस दिए. मानसून सत्र अबतक मणिपुर हिंसा की भेंट चढ़ चुका है. लगातार सदन की कार्यवाही स्थगित हो रही है. विपक्षी दल मणिपुर मामले को लेकर लगातार हंगामा कर रहे हैं.

मणिपुर मामले में पहली बार बोले पीएम मोदी, वीडियो को बताया शर्मसार करने वाला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर मामले में पहली बार 20 जुलाई को बयान दिया था. उन्होंने संसद सत्र से पहले मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराए जाने की घटना पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा था कि यह घटना किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है और इससे पूरे देश की बेइज्जती हुई है. प्रधानमंत्री ने देशवासियों को विश्वास दिलाया कि इस मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और कानून सख्ती से एक के बाद एक कदम उठाएगा. उन्होंने कहा, मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ है. इसके दोषियों को कभी माफ नहीं किया जा सकता है. प्रधानमंत्री ने कहा था, मैं इस लोकतंत्र के मंदिर के पास खड़ा हूं तब मेरा ह्रदय पीड़ा से भरा हुआ है, क्रोध से भरा हुआ है. मणिपुर की जो घटना सामने आई है वह किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है. पाप करने वाले, गुनाह करने वाले कितने हैं, और कौन-कौन हैं, वह अपनी जगह पर है… लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है. 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है.

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