Farm Laws Repealed : कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा के बाद किसान संगठनों की आज अहम बैठक होने जा रही है. बैठक में आगे की रणनीति तैयार करने के लिए किसान बातचीत करेंगे. बैठक में देश के 32 किसान संगठन भाग लेंगे. इस बीच सबसे मन में ये बड़ा सवाल उठ रहा है कि किसानों का धरना कब खत्म होगा? किसान नेता राकेश टिकैत किसान नेता राकेश टिकैत ने न्यूज चैनल आजतक से बात करते हुए कहा है कि सरकारी टीवी से घोषणा की गई है. यदि हमें बातचीत करनी पड़े तो किससे करेंगे?
इतना ही नहीं टिकैत ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को इतना मीठा भी नहीं होना चाहिए. 750 किसान शहीद हुए, 10 हजार मुकदमे दर्ज किये गये हैं. हम बिना बातचीत के कैसे चले जाएं. कटाक्ष करते हुए किसान नेता ने कहा कि पीएम मोदी ने इतनी मीठी भाषा का उपयोग किया कि शहद को भी फेल कर दिया है. हलवाई को तो ततैया भी नहीं डंक मारता है. वह ऐसे ही वह ऐसे ही मक्खियों को उड़ाता रहता है.
गाज़ीपुर बॉर्डर पर न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि MSP भी एक बड़ा सवाल है, उस पर भी क़ानून बन जाए, क्योंकि किसान जो फसल बेचता है उसे वह कम कीमत पर बेचता है, जिससे बड़ा नुक़सान होता है. अभी बातचीत करेंगे, यहां से कैसे जाएंगे. अभी बहुत से क़ानून सदन में है, उन्हें फिर ये लागू करेंगे. उन्होंने कहा कि उसपर हम बातचीत करना चाहते हैं. आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है. जो भी उसमें निर्णय लिया जाएगा उसके बाद ही हम कोई बयान देंगे.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की. प्रधानमंत्री मोदी के इस फैसले से किसानों में जश्न का माहौल है. दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली-हरियाणा सिंघू बॉर्डर पर किसानों ने जलेबी व अन्य मिठाइयां बांट कर अपनी जीत का जश्न मनाया. इन दोनों बॉर्डरों पर नये कृषि कानून के खिलाफ किसान 26 नवंबर, 2020 से प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रधानमंत्री की घोषणा का किसानों ने गर्मजोशी से स्वागत किया है, लेकिन उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाये जाने की मांग पूरी होने का अब भी इंतजार है.
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प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक कि संसद में इन कानूनों को रद्द नहीं कर दिया जाता और उनकी अन्य मांगें नहीं मान ली जातीं. आंदोलनकारियों ने कहा कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है और बीते एक वर्ष से उनका घर बन चुके प्रदर्शन स्थलों को खाली नहीं किया जायेगा. किसानों ने केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून लागू करने की मांग की है.
सिंघू बॉर्डर पर जश्न मना रहे कीर्ति किसान यूनियन से जुड़े हरमेश सिंह धासी ने कहा कि कानून संसद में पारित हुए थे और निरस्त भी वहीं पर होंगे. हम भी अपने-अपने घरों को जाना चाहते हैं. सरकार जिस दिन इन कानूनों को निरस्त कर देगी, हम घर चले जायेंगे. हम एमएसपी पर किसी तरह की समिति नहीं चाहते हैं. राज्य और केंद्र के स्तर पर पहले ही कई समितियां हैं. हम एमएसपी पर गारंटी चाहते हैं.
Posted By : Amitabh Kumar