कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ किसान आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने वृहस्पतिवार को यह घोषणा की थी चूंकि सरकार ने हमारी मांगों पर अपनी सहमति दे दी है, इसलिए फिलहाल किसान आंदोलन को स्थगित किया जा रहा है. लेकिन सरकार ने अगर वादाखिलाफी की तो आंदोल फिर से शुरू होगा. किसान नेताओं ने घोषणा की थी कि 11 दिसंबर से दिल्ली के सभी बाॅर्डर खाली कर दिये जायेंगे और देश में जहां कहीं भी प्रदर्शन हो रहा है उसे कल से रोक दिया जायेगा.
हालांकि किसानों की घर वापसी कल से शुरू होगी लेकिन सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने तंबू उखाड़ने शुरू कर दिये हैं और कई किसान घर लौट भी गये हैं. बड़ी संख्या में किसान अपना सामान बांधकर ट्रैक्टरों पर घरों की ओर रवाना हो गये जबकि कई किसान कल वापसी की तैयारी कर रहे हैं. इन लोगों ने अपने-अपने तंबुओं को उखाड़ना शुरू कर दिया है.
आज सिंघु बाॅर्डर से जो किसान लौटे वे रंगबिरंगी रोशनी से जगमग ट्रैक्टर लेकर प्रदर्शन स्थल से रवाना हुए. उन्होंने अपनी खुशी का इजहार करने के लिए कई गीत बजाये और नृत्य भी किया.
गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने एक साल पहले नवंबर 2020 में किसान आंदोलन की शुरुआत की थी. संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर यह आंदोलन शुरू हुआ था. पीटीआई न्यूज एजेंसी ने यह जानकारी दी है कि जिन किसानों के पास कम सामान था वे लोग लौट गये हैं, लेकिन जिनके पास सामान ज्यादा है, वे लोग अभी तैयारी कर रहे हैं और वे कल लौटेंगे.
आज सीडीएस जनरल बिपिन रावत को अंत्येष्टि से पहले श्रद्धांजलि देने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत भी पहुंचे थे. कल उन्होंने यह घोषणा की थी कि जनरल बिपिन रावत की मौत से पूरा देश सदमे में है और वे सब इस दुख में देश के साथ हैं. चूंकि आज जनरल बिपिन रावत का अंतिम संस्कार होगा इसलिए किसान 11 तारीख को सभी बाॅर्डर खाली करेंगे और अपना प्रदर्शन बंद करेंगे.
किसानों के लगातार प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी थी और 29 नवंबर को संसद ने इन तीनों कानूनों को निरस्त भी कर दिया. साथ ही किसानों पर दर्ज मुकदमें भी सरकार ने वापस लेने पर सहमति दे दी और प्रदर्शन के दौरान मारे गये 700 किसानों को मुआवजा देने पर भी सरकार और किसानों के बीच सहमति बन गयी है.