अमृतसर: कृषि आंदोलनों को स्थगित किये जाने के बाद से किसानों में उत्साह का माहौल है. किसान नेता कृषि कानूनों को वापस लिये जाने और सरकार की ओर से उनकी शर्तों को मान लिये जाने को अपनी बड़ी जीत बता रहे हैं. राकेश टिकैत बार-बार कह रहे हैं कि आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है.
अमृतसर में सोमवार को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि किसानों को आंदोलन के लिए एक साल तक ट्रेनिंग दी गयी. उनकी फिजिकल ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है. अब वे अगले 30-40 साल तक आंदोलन करने के लिए तैयार हो गये हैं.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि एक साल तक दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर चला कृषि आंदोलन किसानों की आंदोलन करने की ट्रेनिंग ही तो थी. उन्होंने कहा कि किसानों को अब यह पता चल गया है कि साल के सभी मौसमों में कैसे आंदोलन किया जाता है.
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एक साल तक दी गयी किसानों को आंदोलन की ट्रेनिंग
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शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हुए किसान
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अगले 30-40 सालों तक आंदोलन के लिए हुए तैयार
देश के आज तक के इतिहास में कभी किसानों का इतना बड़ा और इतना लंबा आंदोलन नहीं चला. किसान कभी इतने सशक्त नहीं थे. इतने एकजुट नहीं थे. आज किसान एकजुट हैं, इसलिए नरेंद्र मोदी सरकार को उसके सामने घुटने टेकने पड़े. किसानों की सभी मांगें माननी पड़ी.
इसके पहले किसानों के मुद्दे पर कोई सरकार बात नहीं करती थी. उनकी समस्याओं के बारे में कहीं चर्चा नहीं होती थी. कोई राजनीतिक पार्टी किसानों के हित में कोई कानून नहीं बनाती थी. देश भर का किसान जब एकजुट हुआ, तो नरेंद्र मोदी सरकार को झुकना पड़ा. उन्होंने न केवल तीनों काले कानून वापस लिये, बल्कि हमारी सभी मांगें भी उन्हें माननी पड़ी.
Amritsar | Farmers trained for the movement for a year. This physical training under all weather conditions has been completed now. They have succeeded in the training, can now work for the next 30-40 years: BKU leader Rakesh Tikait on farm movement pic.twitter.com/c2GBqZ4g05
— ANI (@ANI) December 13, 2021
उल्लेखनीय है कि सितंबर 2020 में संसद से पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर 2020 में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल दिया. तंबू गाड़कर जम गये. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसानों का उन्हें भरपूर समर्थन मिला.
संयुक्त किसान मोर्चा को मनाने की काफी कोशिशें हुईं. सरकार के साथ कई दौर की वार्ता हुई. कृषि मंत्री ने किसानों से कहा कि कानूनों में जो भी खामियां हैं, उनमें संशोधन करने के लिए वह तैयार है, लेकिन किसान इस बात पर अड़ गये कि कृषि कानूनों की वापसी से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है.
सरकार कृषि कानूनों को ऐतिहासिक कृषि सुधार बता रही थी. इसलिए उन्हें वापस लेने के लिए तैयार नहीं थी. आखिरकार गुरु नानक जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया. इसके बाद किसानों ने सरकार को चिट्ठी लिखी. अपने मुद्दे बताये.
सरकार की ओर से जवाब आया. किसान संगठनों को उसमें कुछ खामियां दिखीं. उन्होंने फिर सरकार को लिखा. सरकार ने उनकी सभी मांगों को मान लिया और आखिरकार 11 दिसंबर 2021 को किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित करने का ऐलान किया. विजय पर्व मनाया और अपने-अपने घर को लौट गये.
Posted By: Mithilesh Jha