नयी दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ पिछले साल 15 जून को हुई हिंसक झड़प में देश के 20 जवान शहीद हो गये थे. ईटी की खबर के मुताबिक, गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारतीय रक्षा बलों ने संभावित आक्रमण से निबटने को लेकर एक साल के भीतर पूरे लद्दाख क्षेत्र में अपनी ताकत बढ़ायी है.
गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारतीय रक्षा बलों ने इलाके में बुनियादी ढांचे को विकसित करने के साथ भारतीय सेना और वायुसेना के स्तर पर मजबूत किया है. वहीं, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से निबटने के लिए तैयार है. वायुसेना के बेड़े में लड़ाकू विमान राफेल के शामिल किये जाने से भारतीय वायुसेना भी मजबूत हुई है.
भारतीय सेना और वायुसेना ने अपने सभी पोस्ट को सुदृढ़ करने के साथ अग्रिम स्थानों तक सड़क मार्ग में भी सुधार किया है. सेना ने सीमा सड़क संगठन की मदद से जोजिला दर्रा, उमलिंग दर्रा, मार्समिक दर्रा, खारदुंग दर्रा आदि स्थानों तक अपनी संयोजकता बढ़ायी है, ताकि सालों भर तक आपूर्ति में बाधा उत्पन्न ना हो.
अधिकारियों ने बताया है कि अब चीन सीमा से निबटने के लिए अतिरिक्त स्ट्राइक कोर तैनात किया गया है. मथुरा स्थित वन स्ट्राइक कोर को लद्दाख में उत्तरी सीमाओं की ओर तैनात किया गया है. वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों में 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को जिम्मेदारी दी गयी है. साथ ही 10 हजार से अधिक सैनिकों वाले एक अतिरिक्त डिवीजन प्रदान किया गया है.
भारतीय वायु सेना राफेल लड़ाकू विमानों के साथ-साथ मिग-29 और सुखोई-30 के बेड़े उत्तरी सीमाओं पर नजर रख रहे हैं. भारतीय रक्षा बलों ने सैनिकों के लिए भी आवास बनाने में सफल रहे हैं. सैन्य इंजीनियरों ने 11 माह में ही अगले पांच वर्षों में सुविधाओं का निर्माण करने की योजना बनायी है. सशस्त्र बलों की तैयारी ऐसी है कि चीन या कोई अन्य विरोधी हमें आश्चर्यचकित नहीं कर सकता है.