Fisheries: देश में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने चार साल पहले प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत देश में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के साथ ही इसके लिये इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया गया है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार अब तक 38752 करोड़ रुपये का आवंटन कर चुकी है. इस योजना के तहत वर्ष 2015-16 से 2019-20 के दौरान मत्स्य पालन प्रबंधन के लिए एक समग्र योजना बनाने के लिए 5 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया गया. फिशरीज एंड एक्वाकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के लिए 7522.48 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. यह फंड वर्ष 2018-19 से लागू किया गया है. प्रधानमंत्री मत्स्य किसान संपदा योजना वर्ष 2020-21 से वर्ष 2024-25 के लिए लागू की गयी है, जबकि प्रधानमंत्री मत्स्य किसान संपदा सह योजना इस साल से लागू करने की योजना है और इसके लिए 6 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इन योजनाओं का मकसद मछली उत्पादन बढ़ाना, विदेश भेजने के लिए गुणवत्ता को बेहतर करना, उत्पादन के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के अलावा इनोवेशन, तकनीक के प्रयोग और उद्यमिता को बढ़ावा देना है.
मत्स्य पालन में खाद्य प्रसंस्करण के लिए जारी होगा एसओपी
केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन, डेयरी एवं पंचायती राज मंत्री राजीव रंजन सिंह बुधवार को प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना की शुरुआत करेंगे और इस दौरान मत्स्य पालन क्षेत्र में उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए क्लस्टर की स्थापना के लिए एसओपी जारी करेंगे. इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के मत्स्य पालन विभाग के अधिकारी, नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड के सदस्य के अलावा इस योजना के लाभार्थी हाइब्रिड मोड से जुड़ेंगे. कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री इस योजना के तहत मंजूर किए गये विभिन्न प्रोजेक्ट की घोषणा करेंगे. साथ ही योजना की उपलब्धि को लेकर बुकलेट जारी करेंगे और ब्रीडिंग सेंटर के गठन के लिए जारी अधिसूचना की जानकारी देंगे. इस योजना के कारण मत्स्य पालन को लेकर कई इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया गया है. इस योजना के बाद मत्स्य उत्पादन में काफी वृद्धि हुई और इससे जुड़े लोगों की आय बढ़ाने में मदद मिली है.
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