नयी दिल्ली : देश भर में टीकों की गंभीर कमी के मद्देनजर, केंद्र ने पिछले महीने अगस्त और दिसंबर 2021 के बीच 200 करोड़ से अधिक वैक्सीन (Corona Vaccine) खुराक की खरीद का आश्वासन दिया, जो पूरी वयस्क आबादी का टीकाकरण करने के लिए पर्याप्त है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक नयी वैक्सीन नीति के रूप में, केंद्र ने कहा कि खरीद में कोविशील्ड (75 करोड़) और कोवैक्सिन (55 करोड़) की 130 करोड़ खुराक शामिल होगी. बाकी कई विदेशी और स्वदेशी टीकों की खरीद शामिल है जो वर्तमान में अपने परीक्षणों के एडवांस स्टेज में हैं.
नोवावैक्स वैक्सीन कोरोनावायरस के कारण होने वाली मध्यम और गंभीर बीमारी के खिलाफ लेट-स्टेज परीक्षणों में 90.4 प्रतिशत से अधिक प्रभावी पाया गया है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स के साथ मिलकर वैक्सीन का नैदानिक परीक्षण शुरू करने वाला है. इसका बच्चों पर भी परीक्षण किया जायेगा. इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवोवैक्स नाम दिया है.
अगस्त 2020 में, दोनों कंपनियों ने एक समझौते की घोषणा की थी जिसके तहत नोवावैक्स ने सीरम इंस्टीट्यूट को निम्न और मध्यम आय वाले देशों के साथ-साथ भारत में भी वैक्सीन के निर्माण और आपूर्ति का लाइसेंस दिया था. इस सप्ताह की शुरुआत में, जब नोवावैक्स ने संयुक्त राज्य अमेरिका और मैक्सिको में 119 साइटों पर अपने PREVENT-19 चरण 3 परीक्षणों के परिणामों की घोषणा की, जिसमें 90.4 प्रतिशत की समग्र प्रभावकारिता की रिपोर्ट की गई.
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भारत के कोविड-19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने सीरम इंस्टीट्यूट से आग्रह किया कि बाल चिकित्सा आबादी में बिना देर किये क्लिनिकल परीक्षण शुरू करना चाहिए. डॉ पॉल ने कहा कि नोवावैक्स परिणामों के संबंध में एक महत्वपूर्ण, दिलचस्प और सकारात्मक विकास हुआ है जो बहुत ही आशाजनक है. जो डेटा उपलब्ध है उससे हम यही जान रहे हैं कि यह टीका अत्यधिक प्रभावी है.
सरकार ने हैदराबाद स्थित निर्माता बायोलॉजिकल ई को अपने अंडर-डेवलपमेंट कोविड-19 वैक्सीन कॉर्बेवैक्स की 30 करोड़ खुराक रिजर्व करने के लिए 1,500 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया है. यह पहली बार था जब केंद्र ने नियामक द्वारा उत्पाद को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) दिए जाने से पहले एक वैक्सीन निर्माता के साथ एक आदेश दिया था.
3 जून की एक प्रेस विज्ञप्ति में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि चरण 1 और 2 नैदानिक परीक्षणों में आशाजनक परिणाम दिखाने के बाद वैक्सीन वर्तमान में चरण -3 नैदानिक परीक्षण से गुजर रहा है. केंद्र की योजना के अनुसार, हैदराबाद की कंपनी को अगस्त और दिसंबर के बीच 30 करोड़ खुराक का निर्माण करने की उम्मीद है, जिसमें से कम से कम 7.5 करोड़ खुराक सितंबर तक उपलब्ध हो जायेगी.
अहमदाबाद स्थित जायडस कैडिला द्वारा निर्मित टीका जीकोव-डी वर्तमान में चरण 3 परीक्षण में है और जल्द ही एक आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) के लिए आवेदन करने की संभावना है. डॉ वीके पॉल ने पिछले महीने एक ब्रीफिंग में कहा था कि केंद्र को उम्मीद है कि जब कंपनी इसके लिए लाइसेंस मांगेगी तो जीकोव-डी बच्चों को दिया जा सकता है या नहीं, इस पर पर्याप्त डेटा होगा. यह अगस्त-दिसंबर में 5 करोड़ खुराक का उत्पादन करेगी.
रूस के गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने भी घोषणा की है कि वह स्पुतनिक-V वैक्सीन का एक वेरायटी उपलब्ध करायेगा जो SARS-CoV-2 वायरस के डेल्टा वेरिएंट पर प्रभावी होगा. डेल्टा वेरिएंट को WHO ने चिंता का प्रकार घोषित किया है. वैक्सीन के इस वेरायटी के निर्माण के लिए रूस दूसरे देशों के साथ भी फॉर्मूला साझा करेगा.
हालांकि, इस वैक्सीन के प्रभावकारिता के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. और न ही निर्माताओं को शॉट्स की पेशकश की जाने वाली समयरेखा के बारे में अभी तक कोई जानकारी दी है. इस बीच, भारत ने देश में स्वीकृत होने वाले तीसरे वैक्सीन स्पुतनिक-V का लोगों को लगाया जाने लगा है. डॉ पॉल ने कहा कि हमें सीमित आपूर्ति मिल रही है अगस्त-दिसंबर तक 15.6 करोड़ डोज मिलने की उम्मीद है.
पुणे मुख्यालय वाली जेनोवा बायोफार्मा एक mRNA कोविड -19 वैक्सीन पर काम कर रही है. वैक्सीन अभी फेज-1 के ट्रायल के बीच में है. दिसंबर 2020 में, कंपनी को DCGI द्वारा अपने कोविड-19 वैक्सीन उम्मीदवार के प्रारंभिक से मध्य चरण के मानव परीक्षण शुरू करने के लिए हरी झंडी मिली थी. हालांकि, रिपोर्टों के अनुसार, परीक्षण में देरी हो गई क्योंकि नियामक ने फर्म को एक पशु विषाक्तता अध्ययन को फिर से करने के लिए कहा जो अमेरिका में आयोजित किया गया था.
पिछले साल भारत बायोटेक ने घोषणा की थी कि वह सेंट लुइस, मिसौरी में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के सहयोग से सिंगल डोज वाला नजल वैक्सीन डेवलप कर रहा है. कंपनी ने इसके एक अरब डोज बनाने की बात कही थी. नजल वैक्सीन, जिसका नाम BBV154 है, फिलहाल 1-2 क्लिनिकल ट्रायल के चरण में है. सरकार ने पहले कहा था कि भारत बायोटेक परीक्षण समाप्त होने के बाद अपने नाक के टीके की 10 करोड़ खुराक उपलब्ध करायेगी.
Posted By: Amlesh Nandan.