16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

वीरता और देशभक्ति : सिख वीर जिन्होंने सशस्त्र बलों को दिया आकार

सिख समुदाय के छोटे से एक वर्ग ने अलग देश की मांग उठाने वाले कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह पर सरकार की कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की है. अमृतपाल के कार्यों का कड़ा विरोध करते हुए सिख समुदाय के सैन्य दिग्गजों ने याद दिलाया है कि ऐसे लोगों का समर्थन करना सिख सैनिकों के मूल्यों और योगदान का अपमान है.

चंडीगढ़: भारत की ओर से लड़े गए सभी युद्धों और उसके सैन्य अभियानों में सिख हमेशा सबसे आगे रहे हैं. सशस्त्र बलों में सिखों के अपार योगदान के कारण ही पंजाब को राष्ट्र की तलवारी भुजा के रूप में जाना जाता है. सिख समुदाय के छोटे से एक वर्ग ने अलग देश की मांग उठाने वाले कट्टरपंथी सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह पर सरकार की कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की है. हालांकि, अमृतपाल के कार्यों का कड़ा विरोध करते हुए सिख समुदाय के सैन्य दिग्गजों ने याद दिलाया है कि ऐसे लोगों का समर्थन करना सिख सैनिकों के मूल्यों और योगदान का अपमान है, जिन्होंने देश की संप्रभुगता की रक्षा के लिए सामने से नेतृत्व किया. आइए, जानते हैं उन देशभक्त और वीर सिखों के बारे में, जिन्होंने सशस्त्र बलों को आकार दिया है.

कैप्टन इशारा सिंह

कैप्टन इशारा सिंह पहले सिख सैनिक थे, जिन्हें ब्रिटिश साम्राज्य में वैलोर में सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रॉस प्रदान किया गया था. इसकी शुरुआत 1856 में की गई थी और मार्च 1943 में दिया गया था.

एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ

एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ 31 दिसंबर, 2016 से 30 सितंबर 2019 तक भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के 22वें प्रमुख के तौर पर अपनी सेवाएं दी. इसके अलावा, उन्हें चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन पद की जिम्मेदारी भी दी गई थी.

सुबेदार जोगिंदर सिंह

सूबेदार जोगिंदर सिंह सिख रेजिमेंट के एक भारतीय सैनिक थे. इन्हें 1962 के भारत-चीन युद्ध में असाधारण वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. जोगिंदर सिंह 1936 में ब्रिटिश भारतीय सेना में शामिल हुए और सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन में कार्यरत रहे.

मेजर जनरल राजिंदर सिंह स्पैरो

राजिंदर सिंह एक भारतीय सेना प्रमुख जनरल और द्वितीय लोकसभा (भारतीय संसद के निचले सदन) के सदस्य थे. सेना में उनका उपनाम ‘स्पैरो’ पड़ा था. उन्होंने भारतीय सेना की विभिन्न इकाइयों में 3 अक्टूबर 1932 से 31 जनवरी 1938 तक कार्य किया. बाद में वे भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में शामिल हुए और भारतीय सेना 1 फरवरी 1938 को अपरेटेड लिस्ट में शामिल हुए. अगले साल उन्हें ,द किंग्स रेजिमेंट (लिवरपूल),जो एक ब्रिटिश सेना रेजिमेंट थी. उन्हें उत्तर पश्चिम सीमा पर तैनात किया गया. 24 फरवरी 1939 को उन्हें भारतीय सेना की 7वीं लाइट कैविलरी में शामिल किया गया. 30 अप्रैल 1939 को वे पदोन्नत हो कर लेफ्टिनेंट बने और उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपनी सेवाए दी. उन्होंने 1947 में भारत के विभाजन पर भारतीय सेना का विकल्प चुना और सितंबर 1 9 47 से मई 1949 तक 7वीं लाइट कैवलरी की कमान संभाली.

नायब सुबेदार नंद सिंह

नंद सिंह वीसी एमवीसी (24 सितंबर 1914-12 दिसंबर 1947) विक्टोरिया क्रॉस के एक भारतीय प्राप्तकर्ता थे, ब्रिटिश और राष्ट्रमंडल सेनाओं को दिए जाने वाले दुश्मन के खिलाफ वीरता के लिए सर्वोच्च और सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सेना में 1/11 वीं सिख रेजिमेंट में वह 29 वर्ष के थे जब निम्न कार्य किया गया, जिसके लिए उन्हें विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया. 11-12 मार्च 1944 को मोंग्डू-बथिदांग रोड, बर्मा (अब म्यांमार) पर नायक नंद सिंह ने हमले के एक प्रमुख वर्ग के कमांडिंग के लिए दुश्मन द्वारा प्राप्त की गई स्थिति को दोबारा करने का आदेश दिया गया. वह अपने अनुभाग को बहुत भारी मशीन-गन और राइफल फायर के नीचे एक बहुत खड़ी चाकू धार वाली रिज का नेतृत्व करते थे और घायल हो गए थे. पहली खाई पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद वह केवल अकेले आगे बढ़कर चेहरे और कंधे पर फिर से गोली लगने के बाद भी दूसरी और तीसरी खाई पर कब्जा कर लिया.

अर्जन सिंह मार्शल ऑफ दर एयरफोर्स

मार्शल ऑफ द एयर फोर्स अर्जन सिंह औलख भारतीय वायु सेना के एकमात्र अधिकारी थे जिन्हें मार्शल ऑफ द एयर फोर्स (पांच सितारा रैंक) पर पदोन्नत किया गया था. 16 सितंबर 2017 को 98 वर्ष की आयु में इनका निधन हुआ. ये भारतीय वायुसेना में प्रमुख पद पर 1964-69 तक आसीन रहे. 1965 के भारत पाक युद्ध के समय वायु सेना की कमान को सफलतापूर्वक संभालने के लिए इन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया और 1966 में एयर चीफ मार्शल पद पर पदोन्नत किया गया. वायु सेना से सेवानिवृत्ति उपरान्त इन्होंने भारत सरकार के राजनयिक, राजनीतिज्ञ एवं परामर्शदाता के रूप में भी कार्य किया. 1989 से 1990 तक ये दिल्ली के उपराज्यपाल पद पर रहे. 2022 में भारतीय वायु सेना के मार्शल के पद पर आसीन किया गया. ये प्रथम अवसर था, कि जब भारतीय वायु सेना का कोई अधिकारी पांच सितारा स्तर पर पहुंचा हो.

जनरल बिक्रम सिंह

जनरल बिक्रम सिंह, परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक, एडीसी भारतीय थलसेना के 25वें अध्यक्ष रह चुके हैं. भारतीय सेना की पूर्वी कमान के अध्यक्ष रहे जनरल बिक्रम सिंह, 31 मई 2012 को जनरल वी के सिंह के सेवानिवृत्त होने के पश्चात् भारतीय थलसेना के अध्यक्ष बने.

Also Read: कहां गया अमृतपाल सिंह? 9 राज्यों की पुलिस कर रही तलाश, उत्तराखंड के इस शहर में छिपे होने का शक
वाइस एडमिरल कर्मबीर सिंह निज्जर

एडमिरल कर्मबीर सिंह 2019 में नौसेना के 24वें प्रमुख बने. उन्होंने पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा का स्थान लिया. सरकार ने थल सेना की तरह ही नौसेना में भी जूनियर को प्रमुख बनाया गया. इंडियन नेवी के प्रमुख कर्मबीर सिंह का संबंध जालंधर के गांव फतेहपुर से है, जोकि आदमपुर एयरफोर्स स्टेशन से सटा है. कर्मबीर के पिता विंग कमांडर गुरमइजीत सिंह निज्जर प्राइमरी एजुकेशन के बाद ही गांव फतेहपुर से दिल्ली चले गए थे, वहां पर 40 के दशक में सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली से ऑनर इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की. 1951 में एयरफोर्स ज्वाइन की और बाद में कमांडिंग अफसर के तौर पर रिटायर हुए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें