Gandhi Jayanti: तुम्हें जानकर आश्चर्य होगा कि एक समय तक ब्रिटिश कानून के अनुसार, भारतीय नागरिक न तो नमक जमा कर सकते थे और न ही उसे बेच सकते थे. इसके चलते भारतीयों को अंग्रेजों से बहुत अधिक कीमत पर नमक खरीदना पड़ता था. महात्मा गांधी ने इसके खिलाफ ‘नमक सत्याग्रह’ की शुरुआत की और दांडी यात्रा निकाली. यह यात्रा नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ निकाला गया था. अहिंसा के साथ शुरू हुआ यह मार्च ब्रिटिश राज के खिलाफ बगावत का बिगुल बन कर उभरा. उस दौर में ब्रिटिश हुकूमत ने चाय, कपड़ा, यहां तक कि नमक जैसी चीजों पर अपना एकाधिकार स्थापित कर रखा था. उस समय भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार नहीं था. हमारे पूर्वजों को इंग्लैंड से आनेवाले नमक के लिए कई गुना ज्यादा पैसे देने होते थे.
आंदोलन के लिए क्यों चुना नमक
जब गांधीजी ने इस आंदोलन को लेकर सहयोगियों को अपनी योजना बतायी, तो उनके घनिष्ठ और सहयोगी भी पूरी तरह असहमत थे. सभी का कहना था कि आखिर सत्याग्रह के लिए नमक ही क्यों? कई नेताओं का मानना था कि नमक कर का मुद्दा उतना महत्वपूर्ण नहीं है और इसकी वजह से अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे पूर्ण स्वराज से लोगों का ध्यान भटक जायेगा, लेकिन उनकी आशंकाएं गलत साबित हुईं. आमलोगों द्वारा जगह-जगह दांडी मार्च का स्वागत किया गया. नमक गांधीजी के लिए बड़ा प्रतीक सिद्ध हुआ. चूंकि, नमक मानव के भोजन का महत्वपूर्ण और आधारभूत हिस्सा है, अतः नमक कर के मुद्दे को उठा कर गांधीजी ने हुकूमत की निर्दयता को उजागर कर दिया.
काफी अनोखा था यह सत्याग्रह
इस सत्याग्रह की वजह से हुई गांधी जी की गिरफ्तारी के खिलाफ देशभर में लोग सड़कों पर उतरे. इस दौरान हजारों अन्य आंदोलनकारियों को भी गिरफ्तार किया गया. खास बात यह है कि दांडी मार्च करनेवाले लोगों के हाथ में एक भी तख्ती या झंडा तक नहीं था. फिर भी यह लोगों को जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम बना. गांधीजी की इस यात्रा को प्रेस का भी बड़ा कवरेज मिला, जिसने पूरे देश में आजादी की लहर उठा दी. इस सत्याग्रह ने अंग्रेजी सरकार को हिला कर रख दिया था. इसके बाद हजारों लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत को टैक्स और राजस्व अदा करने से मना कर दिया. नमक सत्याग्रह के बाद एक मुट्ठी नमक बनाते हुए गांधीजी ने कहा था- इस एक मुट्ठी नमक से मैं ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ें हिला रहा हूं.
नमक बना कर तोड़ा कानून
उस समय भी भारतीय समुद्री तटों पर नमक आसानी से बनाया जा सकता था, लेकिन भारतीय को नमक बनाने की इजाजत नहीं थी. इस मुद्दे ने पूरे देश में जाति, राज्य, नस्ल और भाषा की सभी दीवारें तोड़ दीं. यह उन भारतीय महिलाओं के लिए भी एक शक्तिशाली मुद्दा था, जो अपने परिवार का पेट भरने के लिए संघर्ष कर रही थीं. गांधीजी के नेतृत्व में 240 मील लंबी यात्रा दांडी स्थित समुद्र किनारे पहुंची, जहां उन्होंने सार्वजनिक रूप से नमक बना कर नमक कानून तोड़ा था- इस दौरान उन्होंने समुद्र किनारे से खिली धूप के बीच प्राकृतिक नमक उठा कर उसका क्रिस्टलीकरण कर नमक बनाया. उनके साथ 79 अनुयायियों ने यह यात्रा शुरू की थी, जिनमें हजारों लोग जुड़ते चले गये. इसके चलते अंग्रेजों ने गांधीजी को गिरफ्तार भी किया.
Also Read: झारखंड : होपन मांझी के घर रुके थे गांधीजी, बापू ने चाव से खाया था महुआ-बाजरे की रोटी और महुआ का लाठा