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सरकार विेदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिये कई उपायों पर कर रही काम

सरकार कोरोना वायरस संकट के बीच संभावित निवेशकों को देश में आकर्षित करने के इरादे से बड़े स्तर पर भूखंडों की उपलब्धता सुनिश्चित करने समेत कई पहल कर रही है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी. कोविड-19 संकट के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने से कई विदेशी कंपनियां चीन पर निर्भरता कम करने और अन्य देशों में विनिर्माण इकाइयां लगाने पर गौर कर रही हैं.

नयी दिल्ली : सरकार कोरोना वायरस संकट के बीच संभावित निवेशकों को देश में आकर्षित करने के इरादे से बड़े स्तर पर भूखंडों की उपलब्धता सुनिश्चित करने समेत कई पहल कर रही है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी. कोविड-19 संकट के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने से कई विदेशी कंपनियां चीन पर निर्भरता कम करने और अन्य देशों में विनिर्माण इकाइयां लगाने पर गौर कर रही हैं.

एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘‘हम कई पहल पर काम कर रहे हैं. जहां तक जमीन का सवाल है, राज्य सरकारें खाली भूखंडों के आंकड़े जुटा रही हैं. हम उनका हिसाब जोड़ेगे और आने वाले निवेशकों को उसकी पेशकश करेंगे.’ निर्यात संगठनों का महासंघ (फियो) के अयक्ष शरद सर्राफ का कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों पर समयबद्ध तरीके से काम करने की जिम्मेदारी नियत करना, समय पर मंजूरी नहीं मिलने पर लाइसेंस और परमिट को दिया हुआ मान लेना, जमीन अधिग्रहण कानून में बदलाव, एक महीने में बिजली कनेक्शन और दो महीनों में बैंक से कर्ज की मंजूरी जैसे उपायों से विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिल सकती है.

इसी प्रकार की राय जाहिर करते हुए इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कामर्स पेरिस-इंडिया के अध्यक्ष विक्रमजीत सिंह साहनी ने कहा कि मौजूदा हालात में भारत को उन वैश्विक कंपनियों के लिये एक व्यवहारिक गंतव्य के रूप में पेश करना चाहिए जो निवेश के लिये दूसरे देशों को देख रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘नई विनिर्माण इकाइयों के लिये कंपनी कर की दर में कटौती के बावजूद कई कंपनियां चीन से वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया जा रही हैं.

इसी प्रकार की राय जाहिर करते हुए इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कामर्स पेरिस-इंडिया के अध्यक्ष विक्रमजीत सिंह साहनी ने कहा कि मौजूदा हालात में भारत को उन वैश्विक कंपनियों के लिये एक व्यवहारिक गंतव्य के रूप में पेश करना चाहिए जो निवेश के लिये दूसरे देशों को देख रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘नई विनिर्माण इकाइयों के लिये कंपनी कर की दर में कटौती के बावजूद कई कंपनियां चीन से वियतनाम, इंडोनेशिया और मलेशिया जा रही हैं.

साहनी ने कहा, ‘‘कारोबार सुगमता के साथ केंद्र एवं राज्य सरकारों को चीन की तरह औद्योगिक पार्क और गलियारा विकसित करने होंगे. साथ ही विदेशी निवेशकों के लिये नीतियों के मामले में एक निश्चितता सुनिश्चित करनी होगी. नीतियों में स्थिरता का मसला उनमें से कई कंपनियों के लिये चिंता का कारण है. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि बहुराष्ट्रीये कंपनियां पूरी तरीके से चीन से नही हटेंगी बल्कि वे विकल्प की तलाश कर सकती हैं औ भारत एक तरजीही गंतव्य बन सकता है.

सरकार ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिये कारोबार सुगमता बढ़ाने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नियमों को उदार बनाने समेत कई कदम उठाये हैं. भारत विश्विबैंक की पिछले साल जारी कारोबार सुगमता रैंकिंग में 14 स्थान उछलकर 63वें पायदान पर आ गया.

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