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एनडीए की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन और लोकहित मुद्दों को लेकर दिया त्याग पत्र

Hanuman Beniwal, convenor of the National Democratic Party, a constituent of NDA, resigned on issues of peasant movement and public interest : नयी दिल्ली : एनडीए की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक सह राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन के समर्थन और लोकहित के मुद्दों को लेकर संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से शनिवार को त्यागपत्र दे दिया. उन्होंने अपना त्यागपत्र लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा है.

नयी दिल्ली : एनडीए की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक सह राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने किसान आंदोलन के समर्थन और लोकहित के मुद्दों को लेकर संसद की तीन समितियों के सदस्य पद से शनिवार को त्यागपत्र दे दिया. उन्होंने अपना त्यागपत्र लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा है.

हनुमान बेनीवाल ने त्यागपत्र देने के बाद कहा कि 26 दिसंबर को वह दो लाख किसानों के साथ दिल्ली पहुंचेंगे. साथ ही कहा कि एनडीए में रहने को लेकर भी उसी दिन फैसला किया जायेगा. हनुमान बेनीवाल ने पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के बाद त्यागपत्र देने की घोषणा की.

अपने त्याग पत्र में उन्होंने कहा है कि संसद में मुझे उद्योग संबंधी स्थाई समिति, याचिका समिति और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की परामर्शदात्रि समिति का सदस्य बनाया गया है. साथ ही उन्होंने अपने त्यागपत्र में किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए संसदीय समिति द्वारा दखलंदाजी किये जाने के बावजूद कार्यवाही नहीं होना कारण बताया है.

उन्होंने कहा है कि राजस्थान के बाड़मेर जिले में हुए हमले से जुड़े मामले में विशेषाधिकार हनन का मामला, जिसमें संसद की दखल पर भी साल भर से अधिक समय बीत जाने के बावजूद मुकदमा दर्ज नहीं होना, नागौर के मूंडवा में निर्माणाधीन सीमेंट कंपनी द्वारा गलत तथ्यों के आधार पर ली गयी पर्यावरण स्वीकृति का मामला, बाडमेर में सीएसआर की राशि का जिले में खर्च नहीं होना तथा बाडमेर सहित अन्य जिलों में तेल, गैस और अन्य क्षेत्र के उद्योगों में स्थानीय लोगों को रोजगार देने में प्राथमिकता तथा राजस्थान की धरती से निकलने वाले क्रूड ऑयल से मिलनेवाली वास्तविक करोड़ों रुपये की रॉयल्टी से राज्य सरकार के राजकोष को वंचित रखने सहित जनहित से जुड़े कई मामलों में बतौर सदस्य संसद की समितियों को अवगत कराया. लेकिन, उक्त मामलों में किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होना अत्यंत दुःखद है.

लोकसभा की समितियों की सिफारिश तथा समिति की दखलंदाजी के बावजूद किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने से लोकतांत्रिक व्यवस्था में प्रदत्त समितियों के महत्व का कोई औचित्य नहीं रह जाता. इसलिए उक्त कारणों एवं किसान आंदोलन के समर्थन में संसद की उक्त तीनों समितियों से त्याग पत्र दे रहा हूं.

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