Corona Warrior Mothers कोरोना संकट के बीच मदर्स डे के मौके पर हम आपको कुछ ऐसी माओं की कहानी बताने जा रहे हैं. जिनके कर्तव्य के प्रति जज्बे ने दुनिया को हैरान कर दिया है. परिवार औऱ काम के बीच इन्होंने जो संतुलन बनाया. मुश्किलों के बाद भी इनके चेहरे पर जो मुस्कान है, उसने लाखों को प्रेरित किया है. इन स्टोरी में आप जानेंगे कि कैसे इन महिलाओं ने जॉब के प्रति अपना कर्तव्य निभाया और इसके साथ ही मां होने का फर्ज भी अदा किया. तो आईये मदर्स डे (Mother’s Day 2020) पर जानते हैं ऐसे ही कुछ माओं के बारे में
हमारी पहली कोरोना वॉरियर हैं प्रगति तायड़े शेंडे. प्रगति भोपाल में अपनी सास के साथ रहती हैं. यहां, प्रगति विद्युत सब स्टेशन में बतौर परीक्षण सहायक काम करती हैं. प्रगति सात महीने की एक बच्ची की मां भी है. प्रगति की ड्यटी सुबह 8 से शाम 4 बजे के बीच होता है. शहर में कहीं बिजली आपूर्ति बाधित हो तो अतिरिक्त जिम्मेदारी निभानी पड़ती है. पति बैंक कर्मी हैं और देवास में रहते हैं. प्रगति को अक्सर अपनी बेटी को अपने साथ सब स्टेशन ले जाना होता है. कार्यस्थल हो या फिर कोरोना का संकट, दोनों की स्थिति में ये जोखिम भरा है. प्रगति खाली वक्त में कविताएं भी लिखती हैं. उनकी लिखी एक कविता यहां आप भी सुनिये.
हमारी लिस्ट में दूसरी कोरोना वॉरियर हैं मीनल दवे भोंसले. मीनल कोरोना संकट के शुरुआती चऱण में टेस्टिंग किट बनाकर सुर्खियों में आई थीं. मीनल ने बच्चे को जन्म देने से महज कुछ घंटों पहले इस टेस्टिंग किट को ट्रायल के लिये एनआईवी यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को सौंपा था. मीनल उस टीम का नेतृत्व कर रही थीं जिसने कोरोना वायरस की टेस्टिंग किट यानी पाथो डिटेक्ट तैयार किया था.
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हमारी लिस्ट में तीसरी कोरोना वॉरियर्स स्वाती सिन्हा है. स्वाती सिन्हा बिहार के औरंगाबाद की रहने वाली है. स्वाती बैंक कर्मी हैं. स्वाती एक बच्चे की मां भी हैं. उनका बेटा अभी एक साल का है. स्वाती का पूरा परिवार उन्हें परिवार और जॉब के बीच संतुलन बनाने में मदद करता है. स्वाती अपनी सफलता का श्रेय पति और सास-ससुर सहित पूरे परिवार को देती हैं. ऑफिस के बाद घऱ लौटते हुये स्वाती को थोड़ा डर लगता है. उन्हें लगता है कि कहीं कोरोना से इन्फेक्टेड हो गयी तो बच्चे पर असर ना पड़ जाये. लेकिन इस कभी परिवार के सामने जाहिर नहीं होने देतीं.
चौथी कोरोना वॉरियर हैं डॉ वर्तिका. मेडिकल ऑफिसर हैं आयुष विभाग में. वर्तिका मेडिकल ऑफिसर होने के साथ-साथ दो बच्चियों की मां भी हैं. उनकी छोटी बेटी का जन्म अभी 23 अप्रैल को ही हुआ. इनके परिवार में वर्तिका के अलावा उनके पति और दो बच्चियां ही हैं. पति-पत्नी एक दूसरे के सहयोग से परिवार और नौकरी में संतुलन बनाते हैं. वर्तिका के बारे में जानने योग्य खास बात ये है कि, जब उनकी दूसरी बच्ची के जन्म में केवल 1 महीने का वक्त रह गया था, उस वक्त तक डॉ. वर्तिका अपना कर्तव्य निभा रही थीं. वो ड्यूटी पर थीं. ममता के साथ-साथ फर्ज निभाने में डॉ. वर्तिका ने मिसाल पेश की है.
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हमारी पांचवी कोरोना वॉरियर हैं रंजना. रंजना साहिबगंज जिले के बोरियो स्वास्थ्य उपकेंद्र में काम करती हैं. रंजना सुबह 9 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक ड्यूटी पर होती हैं. उन्हें घूम-घूम कर वैक्सीनेशन का काम करना होता है. इसी बीच कोई आपात स्थिति हो तो वहां भी मौजूद रहना होता है. प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा का खयाल रखना भी मेरा काम है.
कभी-कभी रात को भी ड्यूटी होती है. नौकरी के साथ-साथ मां होने का फर्ज भी निभाना पड़ता है. ड्यूटी के दौरान रंजना को नौकरी के बाद इस बात की भी चिंता रहती है कि बच्चे कैसे होंगे. उनकी पढ़ाई लिखाई कैसी चल रही है.
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हमारी छठी कोरोना वॉरियर हैं पुष्पा देवी. पुष्पा पेशे से पुलिसकर्मी हैं. इनके तीन बेटे हैं. इस समय ड्यूटी और परिवार की दोहरी जिम्मेदारी देवी के ऊपर हैं. वह पुलिस कैम्प में ही रहती है, लेकिन मां होने का कोई फर्ज नहीं भूलती. बेटे बताते हैं कि, उनकी मां नौकरी के अलावा उनकी पढ़ाई लिखाई का भी पूरा ध्यान रखती हैं. कोरोना संकट के बीच पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी वैसे भी बढ़ गयी है. मदर्स डे पर इन माओं के लिये, एक सलाम तो बनता है.