हाथरस हादसे (hathras case) के बहाने उत्तर प्रदेश में जातीय दंगा भड़काने (caste violence) के लिए विदेशों से भी करोड़ों का फंड जुटाया गया. प्रदेश सरकार की एजेंसियों को मिली इस सूचना के बाद प्रवर्तन निदेशालय सक्रिय हो गया है. साजिशकर्ताओं के देश -विदेश के कनेक्शनों को खंगालने की तैयारी है. प्रवर्त निदेशालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज कर जांच तेज करने का नर्णय लिया है.
सूत्रों के अनुसार नागरिकता कानून के विरोध में सक्रिय संगठनों ने हाथरस हादसे के बहाने बेवसाइट के जरिए फंड जुटाया ताकि आंदोलन को लंबे समय तक चलाकर उसे हिंसक रूप दिया जा सके. प्रवर्तन निदेशालय की जांच से उन नामों के खुलासे की उम्मीद है जिनके नाम विदेशों और देश के कई हिस्सों से फंड आए. इस बाबत प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू कर दी है.
एजेंसियों को सूचना मिली है कि प्लेटफार्म कार्ड डाट कॉम पर बनाई गई वेबसाइट के जरिए पीड़िता के परिजनों के नाम पर काफी धन एकत्र किया गया है. अब प्रवर्तन निदेशालय धन आने और उसके वितरण के मामले में पुखता जानकारियां जुटाकर कार्रवाई करेगा.
अपराध के लिए हुआ फंड का इस्तेमाल : शासन और ईडी ने मामले की गंभीरता के मद्देनजर कठोर कार्रवाई की तैयारी की है. प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह ने बताया कि इस वेबसाइट के माध्यम से जो धन आया उसे अपराध के लिए इस्तेमाल किया गया है. ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में जांच के बाद एफआईआर दर्ज करेगा और फिर ऐसे लोगों की गिरफ्तारियां की जाएंगी जो इसमें शामिल रहे हैं. राजेश्वर सिंह ने बताया कि ऐसे मामलों में एकत्र की गई धनराशि को जब्त करने के साथ-साथ सात साल तक की सजा का प्रावधान है.
हाथरस में सोमवार को धारा 153 ए में दर्ज मुकदमा प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत भी अधिसूचित अपराध है. इसके तहत अपराध करने के उद्देश्य से जितना पैसा एकत्र किया गया है उसे जब्त किया जा सकता है. आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकता है, उस पर केस चल सकता है और सात साल की सजा हो सकती है.
बेवसाइट की हो रही जांच : पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर का ईडी अध्ययन कर रही है. वेबसाइट की जांच भी की जा रही है. डोमेन खरीदने वाले के साथ-साथ संबंधित मेल और फोन नम्बर भी जांच के दायरे में है. डोमेन के लिए विदेशी सर्वर का इस्तेमाल किया गया है. उक्त सर्वर व सर्विस प्रोवाइडर से भी पूरी जानकारी ली जाएगी. उक्त डोमेन के आईपी ट्रैफिक का भी पता लगाया जाएगा ताकि पता चल सके कि इस वेबसाइट को कहां-कहां से ऑपरेट किया गया है.
Posted By : Amitabh Kumar