नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी रिपोर्ट में बताया की जो मृत्यु दर 19 मई को 3.13 प्रतिशत था, वह अब घटकर 3.02 प्रतिशत हो चुका है.केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि हमारा अगला फोकस सबसे ज्यादा उन राज्यों और जिलों में है जहा कोरोनावायरस के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए है.हम राज्य सरकार के साथ मिलकर वहीं कटेंनमेंट जोन पर फोकस कर रहे है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कोविड-19 के 48,534 मरीज देश में अभी तक ठीक हो चुके हैं. यह कुल मामलों का 41 प्रतिशत है. पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 3,234 मरीज ठीक हुए हैं. कोविड-19 मृत्यु दर 19 मई को 3.13 प्रतिशत से घटकर 3.02 प्रतिशत हो गयी है. आईसीएमआर ने बताया कि शुक्रवार दोपहर एक बजे तक कोविड-19 की 27,55,714 जांच की गयी. एक दिन में 1,03,829 नमूनों की जांच हुई. पिछले चार दिन से कोविड-19 के लिए रोजाना एक लाख से अधिक जांच की जा रही है.
Today has been the 4th day when more than 1 lakh tests have been done in one day: Dr Raman R Gangakhedkar, ICMR https://t.co/PCTFDEKf1J
— ANI (@ANI) May 22, 2020
कॉन्फ्रेंस में एम्पावर्ड ग्रुप के अध्यक्ष वीके पॉल ने बताया कि भारत सरकार की ओर से, हम आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 1 करोड़ उपचार प्रदान करने की उपलब्धि हासिल करने में देश की सराहना करते हैं. यह एक बड़ी उपलब्धि है.उन्होंने बताया COVID19 मामलों की वृद्धि दर में 3 अप्रैल, 2020 से लगातार गिरावट देखी जा रही है, जब लॉकडाउन विकास की गति पर ब्रेक लगाने में सक्षम था. आज मामलों की संख्या बहुत अधिक होती, लॉकडाउन लागू नहीं किया गया था.
वीके पॉल ने बताया कि मामलों की संख्या की तरह, लॉकडाउन के कारण COVID19 मौतों की संख्या की वृद्धि दर में भी काफी गिरावट आई है, जो पूर्व-लॉकडाउन और पोस्ट-लॉकडाउन स्थितियों के बीच उल्लेखनीय अंतर को चिह्नित करता है.वर्तमान सक्रिय COVID19 मामले (21 मई तक) कुछ राज्यों और शहरों / जिलों में केंद्रित हैं, 5 राज्यों में लगभग 80%, 5 शहरों में 60% से अधिक, 10 राज्यों में 90% से अधिक और 10 शहरों में 70% से अधिक है.
पॉल ने बताया डायग्नोस्टिक किट का निर्माण शुरू हो गया है।.हमारी स्वदेशी क्षमता अगले 6-8 सप्ताह में प्रतिदिन 5 लाख किट बनाने में सक्षम होगी. वायरल कल्चर तैयार किया गया, कम से कम 5 कंपनियां और 4-6 वैज्ञानिक वैक्सीन विकसित करने के लिए राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में काम कर रहे हैं.