सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई नहीं होने पर हैरानी जताते हुए कहा है सुनवाई नहीं करना आरोपी के अधिकारों का हनन है. सुप्रीम कोर्ट ने यह बात इसलिए कही क्योंकि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध नहीं हो रहे हैं जिस वजह से एक साल से ज्यादा समय से जमानत की याचिका पर सुनवाई में परेशानी हो रही है.
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नियमित जमानत संबंधी याचिका के सूचीबद्ध नहीं होने से हिरासत में बंद व्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती है. कोरोना संक्रमण के इस दौर में इसे महत्व देते हुए यह भी कहा आधे न्यायाधीशों को वैकल्पिक दिनों में बैठना चाहिए ताकि संकट में फंसे लोगों की सुनवाई की जा सके. कोर्ट ने यह भी कहा, जमानत ना देना, इससे इनकार करना स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन करना है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह बात पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में दायर एक जमानत याचिका के एक साल से भी अधिक समय तक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किए जाने पर हैरानी जताते हुए यह बात कही न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, कोरोना संक्रमण के दौरान अदालत हर तरह के मामलों की सुनवाई करने की कोशिश कर रही है ऐसे में जमानत याचिका की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं होना मकसद को नाकाम करता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारी कोशिश होी है कि हम उच्च न्यायालय द्वारा पारित किसी अंतरिम आदेश में हस्तक्षेप नहीं करें लेकिन हमें विवश होकर यह आदेश देना पड़ रहा है क्योंकि हम यह देखकर हैरान रह गये हैं कि सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत याचिका को एक वर्ष से अधिक समय बाद भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया जा रहा है. हम यह उम्मीद करते हैं कि इस मामले पर जल्द सुनवाई होगी और हाईकोर्ट इस पर फैसला लेगी