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India Fights Corona: कोरोना को लेकर आपके मन में उठते सभी सवालों का जवाब

India Fights Corona: लाखों की संख्या में अलग-अलग तरह के वायरस हर जगह मौजूद हैं. ये जानना दिलचस्प है कि वायरस दुनिया के तमाम जीवित तत्वों में पाये जाते हैं. इसमें पेड़-पौधे, जानवर, मनुष्य सबकुछ शामिल हैं.

कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते खतरे के बीच अमेरिका में टेडमेड फाउंडेशन के डायरेक्टर जे वॉकर ने लंदन स्कूल ऑफ हाईजिन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के डायरेक्टर पीटर पायोट से बात की. इस बातचीच में पीटर पायट ने विस्तार से वायरस, वायरस की प्रकृति, इसकी संरचना और फैलाव के तरीकों पर विस्तार से बातचीत की. यहां पेश हैं बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश…

जानिए, ये वायरस है क्या बला: जे वॉकर ने सबसे पहले पूछा कि आखिर ये वायरस क्या बला है, जवाब में पीटर पायट ने बताया कि वायरस डीएनए और आरएनए का एक सुक्ष्म कण है जो प्रोटिन की एक बेहद पतली झिल्ली द्वारा संरक्षित होता है. पीटर पायट से आगे पूछा गया कि सभी वायरस कॉमन कैसे हैं या इनकी क्या विशेषता है. जवाब में उन्होंने कहा कि, लाखों की संख्या में अलग-अलग तरह के वायरस हर जगह मौजूद हैं. ये जानना दिलचस्प है कि वायरस दुनिया के तमाम जीवित तत्वों में पाये जाते हैं. इसमें पेड़-पौधे, जानवर, मनुष्य और बैक्टीरिया सबकुछ शामिल हैं.

पीटर पायट ने कहा कि, आपको जानकर हैरानी होगी कि ह्यूमन जिनोम का 10 फीसदी हिस्सा वायरस डीएनए से ही लिया जाता है. उन्होंने कहा कि, इस आधार पर यदि हमारी पृथ्वी को वायरस प्लेनेट कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

इतनी तेजी से क्यों फैलता है कोरोना: आखिर क्या कारण हैं कि कोई भी वायरस इतनी तेजी से फैलता है और कोरोना के मामले में तो ये रफ्तार कुछ ज्यादा ही है, ये पूछे जाने पर पीटर पायट ने बताया कि वायरस के कण अविश्विसनीय ढंग से छोटे होते हैं. खांसी से निकली कफ की बूंदों के साथ अरबों की संख्या में वायरस हवा में तैरने लगते हैं. वायरस कितना छोटा हो सकता है, इसके जवाब में पीटर पायट ने कहा कि, ये इतना छोटा होता है कि सामान्य माइक्रोस्कोप की सहायता से इसे देखा नहीं जा सकता.

ह्यूमन बॉडी में कैसे फैलता है कोरोना: वायरस किसी व्यक्ति को किस तरीके से इंफेक्टेड करता है. इसके जवाब में पीटर ने कहा कि वायरस के कण किसी मनुष्य के सेल यानी कोशिका में खुद को इन्सर्ट कर लेते हैं और फिर वहां रिप्रोडक्शन शुरू कर देते हैं. गुणा कि गति से ये अपनी संख्या बढ़ाते हैं और दूसरी कोशिका को भी अपनी चपेट में लेते जाते हैं. इसकी वजह से कोशिकायें धीरे-धीरे मरने लगती है और इंसान संक्रमित होकर अपनी प्रतिरोधक क्षमता खो बैठता है.

ये वायरस कोरोना ही क्यों कहलाया: उन्होंने इसके वैज्ञानिक नाम कोविड-19 के बारे में भी स्पष्टीकरण दिया. उन्होंने कहा कि इस समय जो पूरे विश्व में खलबली मचा रहा है, उसका वैज्ञानिक नाम सॉर्स है जबकि इससे होने वाली बीमारी को कोविड-19 का नाम दिया गया है. इसकी वजह, इस वायरस की बनावट है. सूक्ष्मदर्शी यंत्र की सहायता से देखने पर वायरस एक गेंद की तरह दिखाई पड़ता है. इसके चारों ओर प्रोटिन का एक तत्व होता जो सूर्य की किरण की दिखता है. इसलिए इसे कोरोना नाम दिया गया.

कितने तरह के वायरस हैं दुनिया में: पीटर पायट ने बताया कि दुनियाभर में लाखों की संख्या में वायरस पाये जाते हैं, रोजाना लाखों की संख्या में नये वायरस बनते हैं लेकिन उनमें से कुछ ही खतरनाक होते हैं. जैसे कि निपाह, इबोला और अब कोरोना. उन्होंने बताया कि केवल चार तरह के वायरस की मनुष्य को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करते हैं. इस मामले में चार तरह के वायरसों की पहचान हुई है.

इसमें पहला मनुष्य में केवल कॉमन कोल्ड यानी मौसमी बुखार का कारण बनता है, दूसरा और तीसरा सॉर्स और मॉर्स जैसे हैं जो घातक होते हैं और चौथा कोविड 19 बीमारी का कारण बनता है जो जानलेवा होता है. इसके अलावा भी पीटर पायट ने कोरोना वायरस से जुड़े कई सवालों का जवाब दिया.

वायरस को नोवल कोरोना क्यों कहा : उनसे पूछा गया कि आखिर इस वायरस को नोवल कोरोना वायरस क्यों कहा जा रहा है. इसके जवाब में पीटर पायट ने कहा कि, क्योंकि ये वायरस लोगों के लिए नया है. इससे पहले कभी भी इसकी पहचान नहीं हुई थी और ना ही इसका खतरा महसूस किया गया था.

उन्होंने बताया कि हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता 2 मिलियन वर्षों के लिए विकसित हुई है. इतने दिनों में इस वायरस का अटैक कभी नहीं हुआ. अब अचानक जब इसका फैलाव हुआ तो मनुष्य के पास ये ऑप्शन नहीं है कि वो वायरस के लड़ने के लिये प्रतिरोधक क्षमता का विकास करे. बड़े पैमाने पर प्रतिरोधक क्षमता की कमी की वजह से ही, कोरोना इतनी आसानी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है.

दूसरों से कैसे अलग है कोरोना वायरस: नया वायरस पहले फैले वायरस से अलग कैसे है, ये पूछे जाने पर पीटर पायट ने बताया कि कोरोना वायरस से इंफेक्टेड होने वाले व्यक्ति में इसका लक्षण काफी देर से दिखता है. जब तक लक्षण उभर कर सामने आते हैं तब तक संक्रमित व्यक्ति कई अन्य स्वस्थ व्यक्तियों को भी संक्रमित कर चुका होता है.

80 फीसदी मामलों में कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति में भी सामान्य बीमारी जैसे ही लक्षण दिखते हैं. यानी कि कॉमन कोल्ड का ही लक्षण दिखता है. इसलिए पता नहीं चल पाता कि कोई कितनी गंभीर मेडिकल इमरजेंसी का शिकार हो चुका है.

कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति में सबसे पहले खांसी का लक्षण दिखता है. इसका बाद हल्का बुखार और नाक बहना जैसी समस्याएं होती हैं. व्यक्ति को लगता है कि ये साधारण सर्दी-बुखार है. इस लक्षण को गंभीरता से नहीं लिया जाना ही इसके तेजी से फैलने का कारण बनता है.

कोरोना के लक्षण कॉमन कोल्ड के लक्षणों से इतने ज्यादा मेल खाते हैं कि संक्रमित व्यक्ति समझ ही नहीं पाता. वो किसी अन्य संभावना के बारे में सोच ही नहीं पाता है.

कोरोना से संक्रमित होने के पहले स्टेज में वायरस संक्रमित व्यक्ति के गले के ऊपरी हिस्से तक ज्यादा प्रभावी रहता है. उसके छींकने या खांसने से हवा में तेजी से फैलता है.

कितनी जल्दी बना लिया जाएगा वैक्सीन: क्या कोविड 19 का वैक्सीन जल्द बना लिये जाने की संभावना है, इसके जवाब में पीटर पायट ने कहा कि, देखिए, इसका कोई शॉर्टकर्ट नहीं है. मानव की प्रतिरोधक क्षमता काफी जटिल है. इसे आसानी से परखा नहीं जा सकता. इसके अलावा बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता व्यस्कों से काफी अलग होती है. महिलाओं का शरीर, पुरूषों के मुकाबले काफी अलग ढंग से रियेक्ट करता है. इसलिए, लंबे अध्ययन के बाद ये तय करना होगा कि जो भी वैक्सीन बनता है वो सभी लिंग और आयु वर्ग में समान रूप से 100 फीसदी काम करे.

हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि वैक्सीन वैकेसाीन सभी लोगों के लिए 100 फीसदी खरा हो. हमें ड्रग्स औऱ बैक्सीन का कई चरणों में स्वस्थ वॉलेंटियर्स पर ट्रायल करना होगा. वैक्सीन को अलग-अलग चरणों में चुने गए वॉलेंटियर्स में ट्रायल किया जायेगा. इसमें लंबा वक्त लगेगा.

कैसे खत्म होगा कोरोना वायरस: क्या मौसमी बुखार और कोरोना वायरस समान लक्षणों के साथ समान रूप से खतरनाक भी है. ये पूछे जाने पर पीटर पायट ने कहा कि नहीं. दुनियाभर में प्रत्येक साल औसतन 3 लाख लोगों की मौत मौसमी बुखार की वजह से होती है. लेकिन कोरोना के मामले में यही आंकड़ा दो से तीन गुणा तक हो सकता है.

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