Power and Salary of a Governor: जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे कि सेंट्रल गवर्नमेंट ने कल एक बड़ा बदलाव किया है. केंद्रीय सरकार ने कल एक साथ 12 राज्यों के राज्यपालों को और एक केंद्रीय शासित प्रदेश के राज्यपाल को बदल दिया है. ऐसे में आपके अंदर भी कई तरह की उत्सुकताएं जाग रही होंगी. आप सोच रहे होंगे कि आखिर राज्यपाल की क्या जरुरत होती है? इनके पास कितने तरह के पावर होते हैं और इनकी सैलरी क्या होती है? अगर आपके अंदर भी ऐसे ही सवाल उठ रहे हैं तो आज हम आपको इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से देने वाले हैं.
राज्यपाल की शक्तियों की अगर बात करें तो इनके पास कई अहम शक्तियां जैसे कि- मुख्यमंत्री की नियुक्ति करना और उन्ही के सलाह पर मंत्रिपरिषद का गठन करना राज्यपाल के हाथ में होता है. केवल यहीं नहीं राज्यपाल ही राज्य के हर युनिवर्सिटी की चांसलर होते हैं. बता दें किसी भी राज्य के एडवोकेट जनरल, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और मेंबर्स की नियुक्ति भी राज्यपाल द्वारा ही की जाती है. विधानसभा में जब भी फाइनेंस बिल को पास किया जाता है सबसे पहले राज्यपाल की अनुमति ली जाती है. कोई भी बिल राज्यपाल के अनुमति के बिना कानून नहीं बन सकता है. राज्यपाल के पास पूरी एक बिल को रोकने/ लौटाने या फिर राष्ट्रपति के पास भेजने शक्ति होती है. कोई भी बिल एक बार अगर राज्यपाल के तरफ से वापस कर दिया जाता है लेकिन विधानसभा से उसे पारित कर दिया जाता है तो राज्यपाल को भी उस बिल को मंजूरी देनी पड़ती है. एक राज्यपाल विधासभा की तरफ से पारित बिल को रोक नहीं सकता है.
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चाहे राज्यपाल कीसी भी राज्य के हों , उन्हें प्रतिमाह के 3 लाख 50 हजार रुपये की सैलरी दी जाती है. प्रधानमंत्री के सैलरी से अगर इसकी तुलना करें तो प्रधानमंत्री को प्रतिमाह के हिसाब से 1 लाख रुपये, राष्ट्रपति को 5 लाख रुपये और उपराष्ट्रपति को प्रतिमाह के 4 लाख रुपये सैलरी मिलती है. राज्यपाल को सैलरी के अलावा भी कई तरह के फायदे मिलते हैं. इन फायदों की अगर बात करें तो इनमें कई तरह के भत्ते जैसे कि लीव अलाउंस भी दिया जाता है. इसका मतलब है कि अगर राज्यपाल छुट्टी पर भी रहते हैं तो भी उन्हें इसके लिए भत्ता दिया जाता है. एक राज्यपाल को सरकारी आवास की देखभाल के लिए भी भत्ता दिया जाता है. इसके साथ ही राज्यपाल सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के अस्पतलों में मुफ्त इलाज भी करवा सकता है. बता दें अगर एक राज्यपाल कहीं सफर करना चाहता है और उसके लिए उसे गाड़ी की जरुरत पड़ती है तो वह मुफ्त में गाड़ी भी किराए पर ले सकता है.केवल इतना ही नहीं राज्यपाल को उसके परिवार को घुमाने ले जाने के लिए समय-समय पर ट्रैवल अलाउंस भी दिया जाता है.
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लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक, राज्यपाल, अरुणाचल प्रदेश
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लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, राज्यपाल, सिक्किम
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सीपी राधाकृष्णनन, राज्यपाल, झारखंड
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शिव प्रताप शुक्ला, राज्यपाल, हिमाचल प्रदेश
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गुलागुब चंद कटारिया, राज्यपाल, असम
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रिटायर्ड जस्टिस एस. अब्दुल नजीर, राज्यपाल, आंध्र प्रदेश
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बिस्वा भूषण हरिचंदन, राज्यपाल, छत्तीसगढ़
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अनुसुईया उइके, राज्यपाल, मणिपुर
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एल. गणेशन, राज्यपाल, नगालैंड
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फागू चौहान, राज्यपाल, मेघालय
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राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल, बिहार
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रमेश बैस, राज्यपाल, महाराष्ट्र
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ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) बीडी मिश्रा, उपराज्यपाल, लद्दाख