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ICMR: मनुष्यों पर क्लीनिकल परीक्षणों के लिये समझौता 

यह समझौता सभी नागरिकों के लिए सस्ती, सुलभ और अत्याधुनिक उपचार की खोज में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. इससे लोगों को सस्ती और सुलभ दवाओं के साथ अत्याधुनिक उपचार पद्धति में मदद मिलेगा.

ICMR:भारतीय चिकित्सा अनुसंधान  परिषद (आईसीएमआर) ने  भारत के नैदानिक (क्लीनिकल) अनुसंधान इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. आईसीएमआर ने अपने क्लीनिकल परीक्षणों के नेटवर्क के पहले चरण के तहत कई प्रायोजकों के साथ समझौता ज्ञापन को औपचारिक रूप दिया है. ये समझौते  मॉलिक्यूल्स(अणुओं)  के मनुष्यों पर नैदानिक परीक्षणों की शुरुआत का पहला कदम है. इनमे ऑरिजेन ऑन्कोलॉजी लिमिटेड के साथ मल्टीपल मायलोमा के लिए एक छोटे अणु पर सहयोगात्मक अनुसंधान, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड के साथ जीका वैक्सीन के विकास के लिए साझेदारी, मायनवैक्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस वैक्सीन परीक्षण का समन्वय और इम्यूनो एक्ट के साथ क्रोनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया के एक नए संकेत के लिए सीएआर-टी सेल थेरेपी एडवांस अध्ययन शामिल हैं.

उद्योग जगत के साथ मजबूत साझेदारी

यह पहल भारत को फार्मास्युटिकल नैदानिक विकास में अग्रणी भूमिका निभायेगा. इन समझौतों पर हस्ताक्षर करने के बाद आईसीएमआर ने उद्योग जगत के साथ मजबूत साझेदारी को और अधिक मजबूत किया है. यह समझौता भारत में एक मजबूत नैदानिक परीक्षण इकोसिस्टम के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा. यह समझौता प्रारंभिक चरण के परीक्षणों से लेकर विपणन तक नयी दवाओं को विकसित करने की क्षमता को बढ़ावा देता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय संसाधनों पर निर्भरता कम होगी और सभी के लिए सस्ती, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल के मिशन को और अधिक आगे बढ़ाया जा सकता है.

अत्याधुनिक उपचार की खोज में महत्वपूर्ण कदम

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, श्री जे पी नड्डा ने आईसीएमआर और प्रमुख उद्योग और शैक्षणिक भागीदारों के बीच रणनीतिक सहयोग की सराहना की. उन्होंने इसे सभी नागरिकों के लिए सस्ती, सुलभ और अत्याधुनिक उपचार की खोज में एक महत्वपूर्ण कदम बताया. उन्होंने कहा कि इस पहल से भारत को स्वास्थ्य सेवा नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में उभरने में मदद मिलेगी. वहीं स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने परियोजना की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर देते हुए कहा, “यह सहयोग रणनीतिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से भारत में नैदानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

पहला चरण क्लीनिकल परीक्षण बुनियादी ढांचे की स्थापना, स्वदेशी अणुओं और अत्याधुनिक उपचारों के विकास को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण घटक है. हमें सुनिश्चित करना है कि भारत नये और किफायती स्वास्थ्य सेवा समाधानों के विकास में अग्रणी भूमिका निभायेगा. उन्होंने सभी के लिए सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल के लिए संगठन की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में भारत बायोटेक के सहयोग से कोवैक्सिन के विकास में आईसीएमआर की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया.

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