नयी दिल्ली : कोरोना वायरस के खतरे से निबटने के लिए दुनिया को वैक्सीन का इंतजार है. सबकी नजर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन पर नजर टिकी है. इस बीच कुछ विशेषज्ञों के दावे ने कोरोना के खिलाफ जंग में टेंशन बढ़ा दी है. विशेषज्ञों का दावा है कि अगर कोरोना वायरस का टीका जल्द मिल भी जाता है तो भारत को पूरी तरह संक्रमण मुक्त होने पर दो साल लग जाएंगे.
विशेषज्ञों के दावों के अनुसार कोरोना वैक्सीन आ जाने के बाद भी भारत की 60-70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण में कम से कम 2 का समय लग जाएगा. मैक्स हेल्थकेयर के डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा ने इकनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में बताया कि अगर दिसंबर तक कोरोना का वैक्सीन बाजार में आ भी जाता है तो भी भारत के 60 से 70 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण में करीब डेढ़ से दो साल का समय लग जाएगा. विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना वायरस से हमें वैसे ही जीना पड़ेगा जैसे टीबी जैसी बीमारियों के साथ हमने जीना सीख लिख गया है.
विशेषज्ञों के अनुसार जिस तरह से कोरोना के लक्ष्ण में तेजी से बदलाव आ रहे हैं, वैक्सीन आने के बाद एक और समस्या हो सकती है. विशेषज्ञों का मान है कि एक ही वैक्सीन सब पर कारगर होगी, उसे लेकर संदेह है.
गौरतलब है मंगलवार को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदर पूनावाला ने इंडिया टूडे के साथ बातचीत में बताया था कि संभावित कोरोना वैक्सीन की कम से कम 300 मिलियन खुराक दिसंबर तक उपलब्ध कराई जाएंगी. मालूम हो यह कंपनी एस्ट्रजेनेका ऑक्सफोर्ड वैक्सीन पर काम कर रही है. उन्होंने बताया कि संभावित वैक्सीन ‘कोविशिल्ड’ की भारत में कीमत लगभग 1,000 रुपये होगी.
मालूम हो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोरोना वायरस टीका अपने पहले परीक्षण में सुरक्षित पाया गया और शरीर के भीतर एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्पन्न करने वाला पाया गया. अब वैक्सीन को दूसरे ट्रायल के लिए मंजूरी मिल चुकी है. ऐसी संभावना है कि वैक्सीन इस साल के आखिर तक आ जाएगा. इधर भारत में भी 7 दवा कंपिनयां कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटी हैं. जिसमें कोवैक्सीन को इंसानों पर ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी है. मालूम हो कोवैक्सीन आईसीएमआर और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के सहयोग से हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा विकसित किया जा रहा है.
Posted By – Arbind Kumar Mishra