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लॉकडाउन के तीसरे चरण मे बिजली कारीगरों, प्लम्बरों ने काम पर लौटने की तैयारी की

नयी दिल्ली : कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के तीसरे चरण के पहले दिन सोमवार को बिजली कारीगरों, प्लम्बरों और मैकेनिकों ने राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के कई हिस्सों में काम पर वापसी की तैयारी कर ली है. लॉकडाउन की शुरूआत 25 मार्च को हुई थी और यह अब तक जारी है. देश में गर्मी का दौर शुरू हो चुका है और लोग एयर-कंडीशनर की सर्विस कराने के लिए बिजली कारीगर, वाशिंग मशीनों की मरम्मत कराने के वास्ते प्लम्बरों और अन्य कार्यों के लिए कारीगरों का बड़ी उत्सुकता के साथ इंतजार कर रहे हैं.

नयी दिल्ली : कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के तीसरे चरण के पहले दिन सोमवार को बिजली कारीगरों, प्लम्बरों और मैकेनिकों ने राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के कई हिस्सों में काम पर वापसी की तैयारी कर ली है. लॉकडाउन की शुरूआत 25 मार्च को हुई थी और यह अब तक जारी है. देश में गर्मी का दौर शुरू हो चुका है और लोग एयर-कंडीशनर की सर्विस कराने के लिए बिजली कारीगर, वाशिंग मशीनों की मरम्मत कराने के वास्ते प्लम्बरों और अन्य कार्यों के लिए कारीगरों का बड़ी उत्सुकता के साथ इंतजार कर रहे हैं.

पिछले 20 वर्षों से बिजली का काम कर रहे कारीगर मनोज कोली ने कहा कि लॉकडाउन में कुछ रियायतें दिये जाने से उन्हें स्थिति सामान्य होने की कुछ उम्मीद बंधी है. मनोज ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैंने 21 मार्च से एक धेला भी नहीं कमाया है. जब तक बिजली के सामान की सभी दुकानें नहीं खुलती है तब तक काम पर लौटना मुश्किल होगा.कुछ बता पाना अभी जल्दबाजी होगा.

दक्षिण दिल्ली में अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों के साथ रहने वाले मनोज ने कहा, ‘‘कुछ दुकानें अब हालांकि खुली है और उम्मीद है कि समस्या का समाधान हो जायेगा. लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दिया गया है. कुछ पाबंदियां हटाई गई है और कुछ अभी जारी रहेगी.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार की शाम कहा था कि प्लम्बर, बिजली कारीगर, मैकेनिक, स्वच्छता कर्मियों, घरेलू सहायकों को काम करने की अनुमति दी जाती है. मनोज ने कहा कि हर वर्ष अप्रैल के महीने में एसी की सर्विस के लिए काफी कॉल आती हैं और वह एक महीने में 40 हजार रुपये तक कमा लेते थे.

उन्होंने कहा कि लेकिन इस बार कोई कॉल नहीं आई और न ही कोई पैसा कमाया. मनोज जैसे लाखों लोग हैं. इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन्स (आईएफटीयू) के महासचिव राजेश कुमार ने बताया कि दिल्ली सरकार के पास प्लम्बरों, बिजली कारीगरों और बढ़ई जैसे असंगठित कुशल श्रमिकों की संख्या का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है. लेकिन यह संख्या छह-सात लाख हो सकती है.

एक प्लम्बर सुभाष मोहंती ने कहा, ‘‘पिछले एक महीने से मेरे पास कोई काम नहीं है. पिछले कुछ दिन में काम के लिए कुछ कॉल आई थी लेकिन मुझे काम के लिए मना करना पड़ा क्योंकि मेरे क्षेत्र में कोरोना वायरस का एक मामला आया था और मैं यहां से बाहर नहीं जा सकता था.

मोहंती अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ तुगलकाबाद एक्सटेंशन में रहते है. दक्षिण दिल्ली के इलाकों में बढ़ई का काम करने वाले बिक्रम कुमार ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान एक-एक दिन गुजारा करना बहुत कठिन हो रहा है और वह बेसब्री से काम पर लौटने का इंतजार कर रहे हैं.

उनका कहना है कि लगभग हर घर में बिजली कारीगर की जरूरत होती है लेकिन बीमारी के संपर्क में आने के डर की वजह से ज्यादातर लोग बाहरी लोगों को अपने घरों में नहीं बुला रहे हैं. देश में कोरोना वायरस से 42 हजार से अधिक लोग संक्रमित हुए है और इससे 1,373 लोगों की मौत हुई है. दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के 4,500 मामले है और मृतकों की संख्या 64 है.

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