-
आदिवासियों की आय बढ़ाने की योजना
-
स्थानीय उत्पाद को उपलब्ध होगा वैश्विक बाजार
-
नीति आयोग और ट्राइफेड ने मिलाया हाथ
Increase income of Tribal, Niti Aayog: देश के आदिवासियों की आय बढ़ाने और उनके स्थानीय उत्पाद को वैश्विक बाजार उपलब्ध कराने के लिए नीति आयोग और ट्राइफेड ने हाथ मिलाया है. इसका मकसद लोकल उत्पाद को ग्लोबल बनाना है. इसके लिए देश के आकांक्षी जिलों के आदिवासी बहुल इलाके में वन धन योजना के सफल संचालन में नीति आयोग ट्राइफेड की मदद करेगा. इस बाबत नीति आयोग के सीइओ अमिताभकांत की अध्यक्षता में ट्राइफेड की टीम ने आकांक्षी जिलों के जिलाधिकारी को वन धन योजना की जानकारी दी.
इसमें वन धन ट्राइबल स्टार्ट-अप, वन उत्पाद के मार्केटिंग के तरीके, वैल्यू चेन बनाने और आदिवासी समूह को सशक्त बनाने के उपाय पर चर्चा की गयी. साथ ही लघु वन उत्पाद की अधिक से अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने और इसके लिए बाजार मुहैया कराने के तरीकों पर भी विचार किया गया.
2275 वन धन विकास केंद्र क्लस्टर को मंजूरी : मौजूदा समय में 39704 वन धन विकास केंद्र और 2275 वन धन विकास केंद्र क्लस्टर को मंजूरी दी जा चुकी है. एक वन धन विकास केंद्र में 20 आदिवासी सदस्य होते हैं और 15 वन धन विकास केंद्र मिलाकर एक वन धन केंद्र क्लस्टर बनता है. इस केंद्र में 6.77 लाख आदिवासियों को आजीविका के लिए बाजार से जोड़ने और उद्यमिता के गुण सिखाये जा रहे हैं. साथ ही इस योजना से 50 लाख लोगों के जीवन स्तर में सुधार आया है.
ट्राइफेड में क्या शामिल
-
124 – आकांक्षी जिले
-
65 – आदिवासी बहुल जिले
-
521- स्वीकृत वन धन क्लस्टर
-
1.55 – लाख होंगे लाभान्वित
जहां 50 फीसदी आदिवासी वहां मिशन मोड में योजना: कैटेगरी एक में 50 फीसदी से अधिक आदिवासी बहुल जिले शामिल हैं. इन 41 आकांक्षी जिलों में से 39 में वन धन विकास केंद्र क्लस्टर स्थापित करने को मंजूरी दी जा चुकी है. ये जिले असम, आंध्र प्रदेश, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, ओड़िशा और तेलंगाना के हैं.
Posted by: Pritish Sahay