No Confidence Motion : लोकसभा और राज्यसभा का मानसून सत्र चल रहा है. ऐसे में विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. लोकसभा स्पीकर ने इस प्रस्ताव को अनुमति दिया है और इस पर अगले सप्ताह सदन में चर्चा होगी और 10 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी इसका जवाब दे सकते हैं. लेकिन इस बीच विपक्ष ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर अनुरोध किया है और अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा को जल्दी कराने का अनुरोध किया है. आखिर ऐसा विपक्ष के नेताओं की ओर से किया गया है और इसके पीछे क्या कारण बताया है आइए जानते है विस्तार से…
विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि इस प्रस्ताव पर जल्दी चर्चा करने से वह अन्य विधेयकों पर चर्चा में भाग ले सकेंगे. एक विपक्षी दल के वरिष्ठ नेता के मुताबिक, लोकसभा में सभी भारतीय दलों के फ्लोर नेताओं ने पत्र में लिखा है कि वे सत्र के आखिरी तीन दिनों में होने वाली चर्चा का विरोध करते हैं. “हमने अध्यक्ष से कहा कि सरकार इस अवसर का उपयोग कई विधेयकों को पारित करने के लिए कर रही है और हम चर्चा में भाग लेना चाहते हैं. यदि अविश्वास पर चर्चा जल्द से जल्द होती है, तो हम विधायी एजेंडे पर चर्चा में भाग ले सकते हैं.”
बुधवार को, फ्लोर रणनीति पर चर्चा के लिए ‘I-N-D-I-A’ गठबंधन दलों की बैठक में, राज्यसभा से कांग्रेस के एक वरिष्ठ सदस्य ने प्रस्तावित प्रस्ताव का मसौदा पढ़ना शुरू कर दिया, लेकिन राज्यसभा के एक गैर-नेता ने उन्हें रोक दिया. कांग्रेस पार्टी जो ऐसे किसी भी कदम से पूरी तरह असहमत थी. विपक्षी नेताओं ने कहा कि अगले कुछ दिनों में इस पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है. इस बीच, जब अमित शाह दिल्ली सेवा विधेयक पर बहस का जवाब देंगे तो विपक्षी नेता लोकसभा से वॉकआउट करने पर विचार कर रहे हैं.
एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कहा, ”हम लोकसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पर मतदान या मतविभाजन में शामिल नहीं हो सकते हैं. राज्यसभा में हम निश्चित रूप से मतविभाजन की मांग करेंगे. रणनीति बैठक में एनसीपी नेता शरद पवार और एनसी नेता फारूक अब्दुल्ला जैसे दिग्गज मौजूद रहे. विपक्षी दल भले ही विधायी प्रक्रिया में योगदान देने से चूक रहे हों, लेकिन बैठक इस निर्णय के साथ समाप्त हुई कि गठबंधन के दल मणिपुर पर पीएम के बयान के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे.
मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही लोकसभा में मणिपुर मुद्दे पर जारी गतिरोध बुधवार को भी बरकरार रहा और विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के कारण सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई. एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजे कार्यवाही शुरू होने पर पीठासीन सभापति किरीट सोलंकी ने आवश्यक कागजात सभापटल पर रखवाये. इस दौरान विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे.
पीठासीन सभापति सोलंकी ने विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर लौटने और कार्यवाही में हिस्सा लेने की अपील की. लेकिन सदस्यों की नारेबाजी जारी रही. व्यवस्था नहीं बनते देख पीठासीन सभापति ने दो बजकर चार मिनट पर सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी. इससे पहले, सुबह कार्यवाही शुरू होने पर पीठासीन सभापति मिथुन रेड्डी ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू कराया, उसी समय विपक्षी दलों के सदस्य मणिपुर मुद्दे पर जल्द चर्चा कराने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब की मांग करते हुए हंगामा करने लगे. हाथों में तख्तियां लिए हुए कई विपक्षी सांसद आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी करने लगे.
हंगामे के बीच ही वस्त्र राज्य मंत्री दर्शना जरदोश और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कुछ सदस्यों के पूरक प्रश्नों के उत्तर दिए. सदन में नारेबाजी लगातार जारी रहने पर पीठासीन सभापति रेड्डी ने सदन की कार्यवाही 11 बजकर करीब 15 मिनट पर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी. कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा मुद्दे पर प्रधानमंत्री से संसद में वक्तव्य देने और इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बार-बार बाधित हुई है.