सीमा पार से लगातार ड्रोन के जरिए पाकिस्तान तस्करी करता है. आये दिन बीएसएफ के जवान पाकिस्तानी ड्रोन को गिराकर तस्करी के सामान बरामद करते रहते हैं. लेकिन, अब भारत इस समस्या का परमानेंट समाधान करने में लगा है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले कुछ महीनों में इसका स्थायी समाधान हो जाएगा. दरअसल भारत स्वदेशी ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकी विकसित कर रहा है. इस तकनीक से भारतीय सेना पाकिस्तानी ड्रोन का बड़े आराम से परखच्चे उड़ा देगी.
तीन तरह से सिस्टम पर हो रहा काम
भारत तीन तरह की एंटी ड्रोन सिस्टम तकनीक पर काम कर रहा है. तीने की टेस्टिंग हो रही है. टेस्टिंग पूरी हो जाने के बाद तीनों तकनीकों में से में से जो बेहतर हो उसे या फिर तीन के एक मिले जुले रूप का इस्तेमाल कर सकता है. गौरतलब है कि काफी समय से पाकिस्तान की तरफ से जम्मू कश्मीर के रास्ते या पंजाब की सीमा की ओर से ड्रोन भेजे जाते रहे हैं. इनके जरिए पाकिस्तान हथियार, गोला-बारूद और नशीले पदार्थों को भारत की सीमा के अंदर भेजता है. आये दिन सीमा पार से पाकिस्तानी ड्रोन आते रहते हैं.
हवा में ही नष्ट हो जाएंगे दुश्मन के ड्रोन
भारत तेजी से एंटी ड्रोन सिस्टम पर काम कर रहा है. उम्मीद की जा रही है कि आने वाले छह महीनों में इस सिस्टम को विकसित कर सीमा पर तैनात कर दिया जाएगा. इस सिस्टम के जरिए भारत का हवाई रक्षा तंत्र और मजबूत हो जाएगा. दुश्मनों की ओर से भेजे गये ड्रोन का इस सिस्टम के जरिये तुरंत पता लग जाएगा.
कैसे काम करता है एंटी ड्रोन सिस्टम
दरअसल एंटी ड्रोन सिस्टम एक रडार की तरह काम करता है. इस तकनीक का इस्तेमाल मानव रहित हवाई उपकरणों का पता लगाने और उसे जैम करने के लिए किया जाता है. एंटी ड्रोन सिस्टम रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए दुश्मन ड्रोन की पहचान करता है. सिस्टम को हवा में जैसे ही किसी संदिग्ध चीन की भनक लगती है एंटी ड्रोन इसे नष्ट कर देता है.
कई देशों के पास मौजूद है एंटी ड्रोन सिस्टम
दुनिया के कई देश एंटी ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं. अमेरिका से लेकर इजराइल तक के पास यह सिस्टम मौजूद है. इजराइल का ड्रोन डोम उसके आयरन डोम की तरह ही काफी मजबूत सुरक्षा तंत्र है. यह 360 डिग्री का कवरेज देता है. इसके अलावा इसमे लेजर गन भी जुड़ा रहता है, जो दुश्मनों के ड्रोन का पलभर में काम तमाम कर देता है. अमेरिका के पास हंडर ड्रोन है. दुश्मनों के ड्रोन के खिलाफ यह नेट गन का इस्तेमाल करता है. जल्द ही यह क्षमता भारत के पास भी होगी.