-सीमा जावेद-
यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) की द स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट, 2023 के अनुसार भारत 29 लाख की आबादी के अंतर से चीन को पछाड़ कर दुनिया में सर्वाधिक आबादी वाला देश बन चुका है. भारत की जनसंख्या 1,42.86 करोड़ (1.428 अरब ) तक पहुंच गयी है. ज्ञात हो कि यूनाइटेड नेशंस पाॅपुलेशन फंड 1978 से लगातार अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा है.
भारत में 25 फीसदी आबादी 0-14 वर्ष आयु, 18 फीसदी आबादी 10-19 वर्ष आयु, 26 फीसदी आबादी 10-24 आयु समूह की है. जबकि 68 फीसदी आबादी 15-64 आयु समूह में है. वहीं 65 से अधिक आयु वाले सिर्फ 7 फीसदी लोग देश में हैं.
देश में प्रजनन नीतियां इस हिसाब से तैयार की जाती हैं कि वह न्यूनतम रहने वाली जन्मदर को बढ़ाएं. फिर भी अभी तक हमारे देश में यह नीतियां पूरी तरह से प्रभावी नहीं हो सकी हैं. ऐसे में यह बढ़ती आबादी दरअसल हमारे प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को दावत दे रही है और आर्थिक विकास की राह में एक चिंता का सबब है . सबसे अधिक आबादी का मतलब प्रति व्यक्ति आय का कम होना ,जीवन की निम्न गुणवत्ता और पर्यावरणीय संसाधनों की कमी .
गरीबी, असमानता और बीमारियों की वजह भी यह है. यही नहीं बेरोजगारी को भी अत्यधिक आबादी से जोड़ कर देखा जाता है. हां यह बात सही है की जहां तक मैन पॉवर का सवाल है उसकी हमारे देश में कमी होने का कोई खतरा नहीं है. दुनिया की कुल 8 अरब आबादी में भारत की 1.4 अरब आबादी का आशय है कि यहां 1.4 अरब संभावनाएं हैं. सर्वाधिक युवा शक्ति वाला (25.4 करोड़ – 15 से 24 आयु वर्ग) यह देश नये सोच, नये समाधान, इनोवेशन का बड़ा स्रोत बन सकता है.
(लेखिका पर्यावरणविद् हैं)