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पैंगोंग लेक को लेकर भारत-चीन के बीच समझौता
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राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर लगाया गंभीर आरोप
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पैंगोंग के बाद लद्दाख-देपसांग पर क्या है समझौते का प्लान
भारत और चीन (India China Face off ) के बीच पूर्वी लद्दाख (Ladakh) पर करीब एक साल से जारी गतिरोध अब समाप्त होने की ओर अग्रसर है. दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है जो पैंगोंग लेक को लेकर है. इसकी जानकारी पहले चीनी की ओर से दी गई जिसके बाद भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में यह जानकारी दी. दोनों ही देश अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति लागू करने का प्रयास कर रहे हैं.
रक्षा मंत्री ने गुरुवार को देश की संसद में समझौते की घोषणा की, गुरुवार शाम को ही लद्दाख सीमा से सेनाओं के पीछे हटने की तस्वीरें भी देखने का मिली. इसके बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया मामले को लेकर आई. पार्टी नेता राहुल गांधी ने कुछ गंभीर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाया है. उनका दावा है कि भारत की जमीन चीन को सौंप दी गई है.
क्या कहा राजनाथ सिंह ने : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में जानकारी दी कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है. सिंह ने बताया कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से हटाएंगे.
यहां से हट रही है सेना : इस बीच, भारतीय थल सेना द्वारा साझा किये गये एक वीडियो में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे से चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के तीन टैंकों को पीछे हटाते और भारतीय सैनिकों द्वारा एक टैंक को पीछे हटाते हुए देखा जा सकता है. यही नहीं, दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच बैठक का छोटा फुटेज भी है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो टैंकों और अन्य बख्तरबंद सैन्य साजो सामान को टकराव वाले खास स्थानों से हटाने की प्रकिया पूरी होने के करीब है, जबकि झील के उत्तरी किनारे से सैनिकों को पीछे हटाने का कार्य किया जा रहा है.
जवानों के पीछे हटने की प्रक्रिया : राजनाथ सिंह द्वारा किए गए ऐलान की मानें तो, दोनों देशों के सेनाएं पूर्वी लद्दाख की सीमाओं से अपने जवानों को पीछे हटाने का काम करेंगी जिसके तहत चीन पैंगोंग लेक की फिंगर 9 तक जाएगा, भारत फिंगर 3 की धन सिंह थापा पोस्ट तक रहेगा. नॉर्थ बैंक के साथ-साथ साउथ बैंक पर मौजूद जवानों को भी पीछे हटाने की प्रक्रिया होगी. जबतक ये प्रक्रिया चलेगी तबतक कुछ वक्त के लिए दोनों देश लेक में पैट्रोलिंग करते नजर नहीं आएंगे. दोनों देशों की सेनाओं के बीच अबतक नौ दौर की बातचीत हुई है, ऐसे में उसी के अनुसार दोनों सेनाएं अपने जवानों को पीछे हटाने का काम करेंगी.
चीन की टेंशन का कारण : आपको बता दें कि भारत के पास राचिन ला पहाड़ी पर अधिकार है जिससे चीन को टेंशन बनी रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारतीय सेना इसके सहारे चीन की पूरी सेना और बेस पर नज़र रखने का काम करती है. यदि इससे अलग देपसांग इलाके की बात करें तो चीन यहां पर मजबूत नजर आता है. मौजूदा विवाद पर नजर डालें तो यहां कुछ अतिरिक्त निर्माण और टैंक की तैनाती को लेकर दोनों देश आमने-सामने हैं. राजनाथ सिंह की मानें तो, चीन ने 1962 से ही लद्दाख की 38 हजार स्क्वायर किमी. जमीन पर अनाधिकृत रूप से कब्जा कर रखा है. यही नहीं पीओके की भी करीब 5180 स्क्वायर किमी. जमीन पर चीन का कब्जा है.
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पैंगोंग लेक के बारे में जानें : पूर्वी लद्दाख क्षेत्र की बात करें तो यहां भारत और चीन आमने-सामने होते नजर आते हैं. यहां पर पैंगोंग लेक है जो करीब 134 किमी. लंबी है. यह समुद्री तल से 14 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है. इस पूरी लेक के दो तिहाई हिस्से पर चीन एका कब्जा है, वहीं लगभग 45 किमी. का हिस्सा भारत के पास है. पूरा विवाद उस वक्त शुरू हुआ था, जब भारतीय सेना फिंगर 4 से आगे पेट्रोलिंग करने के लिए बढ़ी. वहीं चीन की ओर से फिंगर 2 तक आने का प्रयास किया गया. यही नहीं 1999 में चीन ने फिंगर 4 के पास अपनी एक सड़क भी तैयार कर ली थी, लेकिन भारत ने अपने लिए कोई ऐसी सुविधा नहीं की.
भारत की नजर देपसांग के विवाद पर भी : वर्तमान समय में जो दोनों देशों के बीच समझौता हुआ है, उसका मुख्य केंद्र पैंगोंग लेक पर जारी विवाद को खत्म करने के लिए है. लेकिन भारत की चिंता देपसांग के विवाद को लेकर है. यह विवाद साल 2013 में हुआ था. इस इलाके में भी दोनों देशों की सेनाएं हैं जो समय-समय पर आमने-सामने आतीं रहतीं हैं. यहां स्थिति काफी संवेदनशील रहती है. यदि आपको याद हो तो यहीं बीते साल गोली चलने की घटना हुई थी. भारत यहां पर कैलाश रेंज पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है. यही नहीं हॉट स्प्रिंग, घोघरा जैसे विवादित स्थान को लेकर भी आने वाले दिनों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच बातचीत हो सकती है.
Posted By : Amitabh Kumar