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Nuclear Plant: छोटे-छोटे परमाणु संयंत्र क्यों बना रहा है भारत? 

Nuclear Plant: सरकार ने अनुसंधान और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के विकास के लिए "न्यूक्लियर एनर्जी मिशन" की शुरुआत की है.

Nuclear Plant: भारत सरकार ने 2025 के बजट में छोटे परमाणु रिएक्टरों को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना की घोषणा की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजटीय भाषण में “न्यूक्लियर एनर्जी मिशन” के लिए 20,000 करोड़ रुपये के प्रावधान की घोषणा की. इस मिशन के तहत देश में छोटे परमाणु संयंत्र स्थापित किए जाएंगे. आमतौर पर परमाणु संयंत्र विशाल इकाइयां होती हैं, लेकिन भारत अब छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMR) की ओर बढ़ रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि बड़े रिएक्टरों की तुलना में छोटे रिएक्टरों को अपनाने के पीछे सरकार की क्या रणनीति है और इससे देश को क्या लाभ होगा.

न्यूक्लियर एनर्जी मिशन का उद्देश्य

सरकार ने अनुसंधान और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के विकास के लिए “न्यूक्लियर एनर्जी मिशन” की शुरुआत की है. इस मिशन के तहत वर्ष 2033 तक देश में पांच छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है. इन संयंत्रों से परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और देश में बिजली उत्पादन की गति को तेज किया जाएगा.

Small Nuclear Plant
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छोटे परमाणु रिएक्टरों की क्षमता

सरकार द्वारा प्रस्तावित इन छोटे परमाणु संयंत्रों को “भारत स्मॉल रिएक्टर्स (BSR)” नाम दिया गया है. छोटे और मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टर पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की तुलना में छोटे होते हैं. इनकी प्रत्येक इकाई 300 मेगावाट ऊर्जा उत्पन्न करने में सक्षम होगी, जो पारंपरिक परमाणु संयंत्रों की क्षमता का लगभग एक-तिहाई है. इनकी छोटी इकाइयां होने के कारण इनका निर्माण और रखरखाव आसान होगा.

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परमाणु संयंत्रों के संभावित खतरे

परमाणु संयंत्रों के साथ कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां और जोखिम जुड़े होते हैं. सबसे बड़ी समस्या इनकी लागत और रखरखाव का खर्च होता है. परमाणु संयंत्रों में रेडियोधर्मी पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जिससे इनके संचालन में सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाता है. इसके अलावा, परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले कचरे का सही तरीके से निस्तारण करना बेहद मुश्किल होता है, जिसे लेकर पर्यावरणविदों की चिंताएं बनी रहती हैं.

छोटे परमाणु रिएक्टरों के लाभ

छोटे और मॉड्यूलर परमाणु संयंत्र बड़े पारंपरिक संयंत्रों की तुलना में अधिक कुशल और कम खर्चीले होते हैं. इन्हें निर्माण स्थल पर तैयार करने के बजाय पहले से फैक्ट्री में तैयार किया जा सकता है और फिर साइट पर असेंबल किया जा सकता है. इससे निर्माण समय और लागत दोनों में कमी आती है.

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छोटे रिएक्टरों की प्रमुख विशेषताएं और उपयोगिता

तेजी से निर्माण – छोटे रिएक्टरों को पारंपरिक संयंत्रों की तुलना में तेजी से बनाया जा सकता है.
सुरक्षा में बढ़ोतरी – छोटे मॉड्यूलर डिजाइन अधिक सुरक्षित होते हैं और इनमें दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है.
परिवहन में आसानी – मॉड्यूलर होने के कारण इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान होता है.
स्थानीय ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति – इन्हें स्थानीय जरूरतों के अनुसार तैयार किया जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर इनकी क्षमता को बढ़ाया भी जा सकता है.

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भारत में ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए छोटे परमाणु संयंत्रों का विकास एक महत्वपूर्ण कदम है. यह योजना देश को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देगी. अगर इस योजना को सफलतापूर्वक लागू किया जाता है, तो यह भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है.

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