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UNSC में भारत ने कहा, ‘अनुरोध’ के बावजूद सूमी में फंसे भारतीयों के लिए नहीं बन पाया सुरक्षित गलियारा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने कहा कि वह बेहद चिंतित है कि रूस और यूक्रेन दोनों से बार-बार आग्रह करने के बावजूद पूर्वी यूक्रेन के शहर सूमी में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए सुरक्षित गलियारा नहीं बन पाया है.

संयुक्त राष्ट्र : रूस यूक्रेन युद्ध का आज 13वां दिन है. दोनों देशों के इस युद्ध में भारत अपने छात्रों और नागरिकों को यूक्रेन से सुरक्षित निकाल लेना चाहता है. इसके लिए भारत सरकार की ओर से ऑपरेशन गंगा के जरिए करीब 20,000 नागरिकों को वहां से निकाल लिया गया है. अभी कुछेक हजार नागरिक और रह गए हैं, जिन्हें लाना है. अपने नागरिकों को सूमी शहर से निकालने के लिए भारत सरकार ने यूक्रेन और रूस दोनों देशों से बातकर सुरक्षित गलियारा मुहैया कराने का अनुरोध किया था, लेकिन बेलारूस में सोमवार को हुई समझौता वार्ता में इस मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई. इसके बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक इस मुद्दे को उठाकर चिंता जाहिर की.

अनुरोध के बावजूद नहीं बन पाया सुरक्षित गलियारा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने कहा कि वह बेहद चिंतित है कि रूस और यूक्रेन दोनों से बार-बार आग्रह करने के बावजूद पूर्वी यूक्रेन के शहर सूमी में फंसे भारतीय छात्रों को निकालने के लिए सुरक्षित गलियारा नहीं बन पाया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थानीय प्रतिनिधि एवं राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने यूक्रेन की मानवीय स्थिति पर सोमवार को सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि भारत हर प्रकार की शत्रुता को समाप्त करने का लगातार आह्वान करता रहा है.

मानवीय कार्रवाई में राजनीति नहीं

तिरुमूर्ति ने इस बात पर जोर दिया कि यह महत्वपूर्ण है कि कोई भी मानवीय कार्रवाई हमेशा तटस्थता, निष्पक्षता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित हो. उन्होंने कहा कि इसमें राजनीति नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ने सभी निर्दोष नागरिकों, भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने के लिए सुरक्षित तथा निर्बाध मार्ग मुहैया कराने की मांग की है.

आने वाले दिनों में करते रहेंगे मदद की मांग

तिरुमूर्ति ने कहा, ‘हम बेहद चिंतित हैं कि दोनों पक्षों से हमारे आग्रह के बावजूद सूमी में फंसे हमारे छात्रों के लिए सुरक्षित गलियारा नहीं बन पाया.’ उन्होंने कहा कि भारत अभी तक युद्धग्रस्त यूक्रेन से अपने 20,000 से अधिक नागरिकों की सुरक्षित वापसी कराने में कामयाब रहा है. तिरुमूर्ति ने कहा कि हमने अन्य देशों के उन लोगों की भी उनके देश पहुंचने में मदद की, जिन्होंने इस संबंध में हमसे संपर्क किया था. आने वाले दिनों में भी हम लोगों की मदद करते रहेंगे.’

सहायता के लिए भारत ने की सराहना

भारतीय राजदूत ने सुरक्षा परिषद को बताया कि भारतीय नागरिकों को घर लाने के लिए 80 से अधिक निकासी उड़ानों का संचालन किया गया. उन्होंने कहा कि हम यूक्रेन और उसके पड़ोसी देशों के अधिकारियों द्वारा नागरिकों की वापसी सुविधाजनक बनाने में प्रदान की गई सहायता की सराहना करते हैं.

सूमी में फंसे हैं 700 भारतीय छात्र

बताते चलें कि पूर्वी यूक्रेन के सूमी में लगभग 700 भारतीय छात्र फंसे हुए हैं, जो पिछले कुछ दिनों से रूसी और यूक्रेनी सैनिकों के बीच भीषण लड़ाई के साक्षी बन रहे हैं. भारत शहर से अपने नागरिकों को निकालने के लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन भारी गोलाबारी तथा हवाई हमलों के कारण इसमें अभी तक बहुत कम सफलता मिली है.

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नागरिकों की निकासी के लिए ऑपरेशन गंगा

युद्धग्रस्त यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालने के लिए भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन गंगा’ शुरू किया है, जिसके तहत वह फंसे हुए भारतीयों (जिनमें ज्यादातर छात्र हैं) को यूक्रेन की पश्चिमी सीमाओं से लगे देशों से स्वदेश ला रहा है. हालांकि, यूक्रेन के पूर्वी हिस्से से लोगों को निकालना चुनौतीपूर्ण है. संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी प्रतिनिधि एवं राजदूत वासिली नेबेंजिया ने पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया था कि यूक्रेन के नागरिकों ने खारकीव और सूमी में 3,700 से अधिक भारतीय नागरिकों को जबरन रोक रखा है.

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