Indian Army: समाचार एजेंसी एएनआई ने भारतीय सेना के सूत्रों के हवाले से बताया कि पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) के डेमचोक सेक्टर (Demchok Sector) में भारतीय सैनिकों द्वारा गश्त शुक्रवार 1 नवंबर को चीन के साथ तनाव कम होने के बाद शुरू हो गई, जबकि देपसांग सेक्टर के एक अन्य टकराव बिंदु यानी इलाके पर गश्त जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है.
बुधवार 30 अक्टूबर को भारतीय सेना के एक अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्षों यानी भारत और चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग मैदानों के दो टकराव बिंदुओं पर पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी कर ली है और जल्द ही इन बिंदुओं पर गश्त शुरू हो जाएगी. अगले दिन, भारत और चीन के सैनिकों ने दिवाली के अवसर पर पूर्वी लद्दाख के स्थानों सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ कई सीमा बिंदुओं पर मिठाइयों का आदान-प्रदान किया.
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गुरुवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control in Ladakh) के पास भारतीय और चीनी सैनिकों की “वापसी की प्रक्रिया” “लगभग पूरी हो चुकी है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पश्चिम में लद्दाख से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक चीनी और भारतीय कब्जे वाले क्षेत्रों को अलग करती है. भारत और चीन ने 1962 में सीमा पर एक घातक युद्ध लड़ा था.
जुलाई 2020 में एक सैन्य झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए थे जिसमें 20 भारतीय सैनिक और कई चीनी सैनिक मारे गए थे. यह ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्र में लंबे समय तक चलने वाले गतिरोध में बदल गया, क्योंकि दोनों पक्षों ने तोपखाने, टैंकों और लड़ाकू विमानों द्वारा समर्थित हजारों सैन्य कर्मियों को करीबी टकराव की स्थिति में तैनात किया.
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अक्टूबर 2024 में, दोनों पड़ोसियों ने गतिरोध को समाप्त करने के उद्देश्य से एक सीमा समझौते की घोषणा की, जिसके बाद रूस में हाल ही में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक बैठक हुई, जो पांच वर्षों में उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक थी.