कुल्लू : कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा रविवार से शुरू होगा. कोरोना काल में शुरू हो रहे सात दिवसीय दशहरा में इस बार लाखों लोग भव्य रथयात्रा के गवाह नहीं बन पायेंगे. भगवान रघुनाथ के रथ को खींचने के लिए मात्र 200 देवलु, कारदार और राज परिवार से जुडे़ सदस्य ही शामिल होंगे. शोभायात्रा में इस बार सैकड़ों नहीं, मात्र सात देवी-देवता ही हिस्सा लेंगे.
हजारों लोगों का जनसमूह भी एकसाथ नहीं दिखेगा. देव कारज की सभी रस्में प्रतीकात्मक रूप में ही निभाई जायेंगी. न उद्घाटन पर राज्यपाल आएंगे और न समापन पर मुख्यमंत्री. शोभायात्रा के साथ आगाज और लंका दहन के साथ दशहरा का समापन होगा. हर साल 250 से 300 देवी-देवताओं को न्योता दिया जाता था. सात दिन तक देव-मानस मिलन चलता रहता था.
कोरोना के चलते इस बार कुल्लू में लगने वाले मेले में करोड़ों का कारोबार नहीं होगा. लोगों को मेले में आने से रोकने के लिए जिला प्रशासन धारा 144 लगाएगा. शहर में जगह-जगह बेरिकेड्स लगाए गए हैं. सात दिन तक चलने वाली सांस्कृतिक संध्याएं भी इस बार नहीं होंगी. देश-विदेश और बॉलीवुड के कलाकार भी नहीं बुलाए गए हैं. सात देवी-देवताओं के मात्र 15-15 लोग ही इसमें भाग लेंगे.
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रथयात्रा में उन्हीं कारकूनों और देवलुओं को अनुमति मिलेगी, जिनके पास कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट होगी. दशहरा उत्सव समिति के अध्यक्ष एवं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि दशहरा में मात्र देव परंपराएं ही निभाई जाएंगी. किसी भी देवी-देवता को निमंत्रण नहीं दिया गया है। उत्सव की परंपरा निभाने जो देवरथ आएंगे, उन्हें भी दशहरा उत्सव समिति नजराना नहीं देगी.
Posted By : Rajneesh Anand