International Women’s Day 2022 : स्त्री जन्म नहीं लेती बनायी जाती है, सिमोन द बोउआर का यह कथन आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि आज भी भारतीय समाज में स्त्री का व्यक्तित्व गढ़ा जाता है. उसे यह बताया जाता है कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है. उसे यह बताया जाता है कि उसे यह नहीं करना है वरना लोग क्या कहेंगे?
ये जो लोग हैं(स्त्री-पुरुष दोनों) वही आज तक स्त्री अधिकारों में बाधा हैं और भारतीय समाज में जेंडर इक्वलिटी संभव नहीं हो पायी है. जेंडर इक्वलिटी इसलिए क्योंकि स्त्री-पुरुष दोनों ही इस समाज के आवश्यक है और दोनों की भागीदारी अहम है.
भारतीय समाज में अकसर स्त्री के रंग-रूप पर टिप्पणी होती है. काली होना महिला की बदसूरती और उसकी नाकामी का पैमाना है और गोरा होना उसकी खूबसूरती और योग्यता का. यह सोच पूरे समाज में धंसी हुई है और इसे निकाल पाने में अबतक कोई आंदोलन संभव नहीं हो पाया है. हां परिवार में लड़कियों की शादी के लिए उसे गोरा बनाने के तमाम प्रयास जारी हैं. काली रंगत की वजह से कई बार लड़कियों को अपमानित होना पड़ता है. उस वक्त उसकी मानसिक स्थिति की परिकल्पना कोई नहीं करता, जबकि काले रंगत के लिए पुरुषों पर कमेंट नहीं होता.
एक मीडिया हाउस ने शादी ब्याह से संबंधित विज्ञापन में लड़की के रंग से संबंधित विज्ञापन को छापने से मना किया है. इस पहल की तारीफ हो सकती है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव बंद हो जायेंगे? जवाब है, नहीं. इसकी वजह यह है कि हम यह सोच कर ही पले बढ़े हैं कि लड़कियां प्रस्तुत होने के लिए बनी हैं. पुरुष प्रधान समाज उसे प्रस्तुत होने के लिए मानकर ही टिप्पणी करता है और यही सबसे बड़ी परेशानी है जेंडर इक्लिटी में.
आज एक बार फिर महिला दिवस का आयोजन हो रहा है. कई जगह पर महिलाओं को कमान दी जायेगी, उनका सम्मान होगा, शुभकामनाएं मिलेंगी, लेकिन यह जेंडर इक्वलिटी की ओर एक कदम नहीं होगा. महिला सिर्फ सम्मान नहीं चाहती, यह बहुत हो चुका है. भारतीय समाज में स्त्री देवी स्वरूपा है. आज की भारतीय नारी अपने हक की बात कर रही है. वह यह कह रही है कि उसे एक इंसान होने का दीजिए. उसे भाई के समान पढ़ने का अवसर मिले, पति उसकी इच्छा और करियर को संभाले, जैसे वो पति का संभालती है. कार्यालयों में उसे भी अवसर मिले, गिनती की महिलाएं अगर कीपोस्ट पर हैं तो वो सुखद नहीं है. आधी आबादी को समान अवसर मिले, तभी महिला दिवस का आयोजन सफल है.