International Women’s Day 2023 : महिला दिवस के आयोजन का मूल उद्देश्य है समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता को समाप्त करना. अर्थात स्त्री-पुरुष के बीच जो भेद समाज में मौजूद है उसे मिटाना. इसी क्रम में डिजिटल युग में व्याप्त लैंगिक भेदभाव को मिटाने का संकल्प इस वर्ष लिया गया है.
आज का युग डिजिटल युग है. बात चाहे शिक्षा की हो, स्वास्थ्य की हो, मनोरंजन की हो या लेखन की हो सबकुछ डिजिटली संभव है. लेकिन देखा यह जा रहा है कि जीवन को सहज और सुविधायुक्त बनाने वाली यह तकनीक पुरुष प्रधान है. यानी कि जब आप डिजिटल युग में प्रवेश करते हैं तो आप पाते हैं कि यह तकनीक पुरुषों को ध्यान में रखकर बनायी गयी है. साथ ही यह भी एक सच्चाई है कि लड़कियों और महिलाओं तक डिजिटल तकनीक की पहुंच कम है. आज भी हमारे देश में इंटरनेट की पहुंच पुरुषों के मुकाबले महिलाओं तक कम है. वहीं जो सबसे प्रमुख और ध्यान देने योग्य बात है कि डिजिटल उत्पाद और सेवाएं पुरुषों को ध्यान में रखकर बनाये गये हैं, उनकी डिजाइनिंग में महिलाओं की रुचि और पसंद का ध्यान नहीं रखा गया है.
इसे बहुत ही छोटे उदाहरण से समझा जा सकता है कि जितने भी ऑनलाइन गेम्स तैयार किये जाते हैं उनके इंटरफेस पुरुष प्रधान हैं, उन्हें महिलाओं के हिसाब से नहीं बनाया गया है. इसकी वजह यह है कि महिलाओं को उन उत्पादों के निर्माण और उसकी प्रक्रिया से भी बाहर रखा जाता है. परिणाम यह होता है कि महिलाओं में डिजिटल एजुकेशन की कमी होती है, इतना ही नहीं महिलाएं उन उत्पादों के प्रयोग से भी बचती हैं. यह स्थिति एक तरह से लैंगिक डिजिटल विभाजन को चौड़ा करता है जिसका दुष्परिणाम लड़कियों को भुगतना पड़ता है.
डिजिटल दुनिया में महिलाएं किसी भेदभाव का शिकार ना हो इसके लिए यूनिसेफ एक बड़ी पहल कर रहा है. यूनिसेफ की जेंडर एंड इनोवेशन टीम ने लड़कियों को डिजिटल युग में किसी भी प्रकार के लैंगिक भेदभाव से बचाने के लिए कुछ टूल विकसित किये हैं जो लड़कियों और महिलाओं को डिजिटली भी सशक्त करेगी. ये टूल इस प्रकार हैं-
महिलाओं और लड़कियों को डिजिटल वास्तविकताओं से परिचित कराने के लिए ऐसे डिजिटल उत्पाद विकसित किये जा रहे हैं जो महिलाओं के लिए हों, हालांकि उनका इस्तेमाल पुरुष भी कर सकते हैं. इसमें स्टेपवाइज महिलाओं को डिजिटल की जानकारी दी गयी है.
इस टूलकिट में यह बताया जाता है कि जो लड़कियां दूर बैठीं होती हैं उनसे कैसे संपर्क किया जा सकता है. इस टूलकिट के जरिये बताया जाता है कि ऐसे समय या वातावरण में जब आमने-सामने संपर्क संभव नहीं होता है, कैसे संपर्क संभव है. हालांकि यह टूल किशोरियों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने पर केंद्रित है, दूरस्थ लोगों से संपर्क साधने की विशिष्ट कला यह टूल बताता है.
डिजिटल जगत में लैंगिक भेदभाव को मिटाने के लिए यह जरूरी है कि डिजिटल उत्पादों के निर्माण कार्य के समय ही यह देखा जाये कि वह महिला उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त है या नहीं. इसके लिए उत्पाद के निर्माणकाल के दौरान उसकी टेस्टिंग की जाती है, इसमें महिलाओं और लड़कियों को शामिल किया जाता है. वे अच्छे तरीके से अपनी प्रतिक्रिया दें इसके लिए यह जरूरी है कि वे खुद को सुरक्षित महसूस करें उनके मन में किसी तरह का डर ना हो. इस टूल के जरिये यह तमाम चीजें उपलब्ध करायीं जाती हैं.
किसी भी डिजिटल उत्पाद की डिजाइनिंग और उसके निर्माण की प्रक्रिया काफी अहम होती है. ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि उस उत्पाद के उपयोगकर्ताओं को डिजाइन प्रक्रिया के केंद्र में रखा जाये और यह सुनिश्चित किया जाये कि वह उत्पाद उनके लिए उपयुक्त हो और उनकी सहायता कर सके. इस प्रक्रिया के तहत यूजर्स अपना फीडबैक देते हैं जिसके आधार पर किसी डिजिटल उत्पाद का निर्माण संभव हो पाता है.
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