IRCTC Indian Railway news : केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे पंजाब के विभिन्न किसान संगठनों ने शनिवार को घोषणा की कि यात्री ट्रेनों की आवाजाही के लिए वे 23 नवंबर से अपने रेल रोको आंदोलन (Rail stop movement) को वापस ले रहे हैं.
राज्य में यात्री ट्रेनों की आवाजाही की अनुमति देने का फैसला मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ किसान नेताओं के प्रतिनिधियों की एक बैठक के बाद आया है. मुख्यमंत्री ने किसानों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए यहां आमंत्रित किया था.
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री की भावुक अपील पर पंजाब के किसान सोमवार (23 नवंबर) से मालगाड़ी और यात्री गाड़ियों की आवाजाही के लिए अपना आंदोलन पूरी तरह से वापस ले लेंगे.
Railways will take steps towards restoration of train services in Punjab at the earliest after undertaking necessary maintenance checks and completing other laid down protocols.
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) November 21, 2020
मुख्यमंत्री से मुलाकात करने से पहले किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन पर विचार-विमर्श करने के लिए अपनी बैठक की. कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन 24 सितंबर से ‘रेल रोको’ आंदोलन कर रहे थे. पहले उन्होंने राज्य में मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए सहमति दी थी.
हालांकि, ट्रेनों की बहाली को लेकर प्रदर्शनकारी किसानों और रेलवे के बीच गतिरोध जारी रहा. किसान संगठनों का कहना था कि अगर केंद्र राज्य में पहले मालगाड़ियों का संचालन शुरू करता है तो वे यात्री ट्रेनों को चलाने की अनुमति देंगे.
लेकिन रेलवे ने मालगाड़ियों को फिर से चलाने से इनकार कर दिया और कहा कि वह मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों, दोनों का संचालन करेगा या किसी का भी संचालन नहीं करेगा. किसान संगठनों पर उद्योगों का भी दबाव था, जिन्हें राज्य में मालगाड़ियों के नहीं चलने से करीब 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
किसान आंदोलन से भारी नुकसान
पंजाब में किसान आंदोलन से भारी नुकसान का आंकलन किया गया है. 24 सितम्बर से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के कारण 3,850 मालगाड़ियों का संचालन प्रभावित हुआ, तो 2,352 यात्री ट्रेनों को रद्द करना पड़ा. कई के मार्ग में परिवर्तन किया गया. रेलवे बताया कि किसान आंदोलन से करीब 2,220 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
Posted By – Arbind Kumar Mishra