क्या राहुल गांधी एक बार फिर कांग्रेस की कमान संभालने वाले हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि 18 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक सलाहकार समूह का गठन किया है. यह सलाहकार समूह मुख्यत: कोविड 19 से जुड़े मामलों पर विचार-विमर्श करने और विभिन्न मुद्दों पर पार्टी के विचारों को तैयार करने का कार्य करेगा. वेणुगोपाल के बयानों ने राहुल गांधी के शीर्ष पर लौटने और पार्टी में कई वरिष्ठ नेताओं के भविष्य के बारे में अटकलों को फिर से दोहराया है. जबकि पार्टी के अंदर ही कई लोग अब एक और समिति की आवश्यकता पर सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि पार्टी ने 28 मार्च को ही एक टीम का गठन किया था, जो COVID-19 के कारण उत्पन्न गंभीर स्थिति से निपटने के लिए था. इसके बाद से ही इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या फिर से राहुल गांधी को वापस लाने की तैयारी चल रही है. इंडिया टुडे डॉट इन में छपी खबर की मानें तो राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा चल रही है कि राहुल गांधी वापसी कर सकते हैं.
फिलहाल कई लोग इस समूह के गठन के बारे में ज्यादा बोलने से इनकार कर रहे हैं क्योंकि, यह 2020 में कांग्रेस के अंदर तीसरी ऐसी संकट प्रबंधन समिति है. टीम में कांग्रेस के दिग्गज नेता जैसे अहमद पटेल, ए.के. एंटनी, गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा टीम में शामिल नहीं है. टीम में वही लोग शामिल हैं जो राहुल गांधी पर विश्वास जताते हैं. इस कदम को फिर से पार्टी की कमान संभालने से पहले राहुल द्वारा अपनी कोर टीम बनाने की दिशा में एक छोटे कदम के रूप में देखा जा रहा है
राहुल के वफादारों का मानना है कि वह पार्टी के लिए तैयार हैं. क्योंकि जब पूरे देश में सीएए-एनआरसी विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, राहुल तस्वीर से बाहर रहे. पर COVID-19 मामले पर राहुल खुद आगे आकर पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं. इस विषय में उनकी व्यक्तिगत रुचि को पार्टी एक अवसर के रूप में भी देखती है, जो सरकार और जनता को बड़े आर्थिक संकट से लड़ने के लिए एक रचनात्मक मॉडल पेश करता है. महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना की भी प्रशंसा हुई, जिसमें कहा गया कि राहुल ने महामारी पर सकारात्मक रुख अपनाया और दिखाया कि एक विपक्षी पार्टी को संकट के समय कैसे व्यवहार करना चाहिए.
राहुल के वफादारों का मानना है कि कोरोना संकट कि स्थिति में यदि राहुल शासन के एक मॉडल की पेशकश कर सकते हैं तो वह कांग्रेस के पुनरुद्धार के लिए जमीन रख सकते हैं. यही कारण है कि राहुल व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं कि, कांग्रेस शासित राज्य कोरोना संकट को कैसे संभाल रहे हैं. एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कहते हैं, मोदी के पास 2014 में गुजरात मॉडल था. राहुल COVID-19 के खिलाफ कांग्रेस शासित राज्यों की लड़ाई के प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं. इसके साथ ही, राहुल को फिर से संगठित करने की कोशिश की जा रही है. सिंधिया के बाहर निकलने और कोरोना संकट ने टीम राहुल को विश्वास दिलाया कि उनकी वापसी की योजना को चाक-चौबंद करने का यह सबसे अच्छा समय है.