Aditya L-1 Launching : भारत का पहला सूर्ययान आज यानी 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च होगा. इसरो की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, भारत का यह मिशन सूर्य 11.50 बजे लॉन्च होगा. सूर्य का अध्ययन करने से संबंधित ‘आदित्य-एल1’ मिशन के बारे में जानकारी देते हुए इसरो ने कहा कि लॉन्चिंग का पूर्वाभ्यास और रॉकेट की आंतरिक जांच पूरी हो चुकी है. आइए सब जानते है इस मिशन से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें…
ISRO के पहले मिशन सौर की उल्टी गिनती जारी
चंद्रयान की सफलता के बाद अब सूरज की तपिश नापेगा भारत. जी हां, ISRO के पहले मिशन सौर की उल्टी गिनती जारी है. भारत का अपना मिशन सूर्य PSLV-C57 के जरिए लॉन्च होगा. ऐसे में बता दें कि आदित्य एल-1 सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला वेधशाला श्रेणी का सौर मिशन होगा.
क्या है मिशन आदित्य एल-1 का मकसद ?
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कोरोना का अध्ययन करेगा भारत का सूर्ययान
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लैग्रेंज 1 के पास हेलो ऑर्बिट से सूर्य पर नजर
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यहां किसी ग्रहण का असर नहीं होगा
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कोरोना में मैग्नेटिक फील्ड और टोपोलॉजी की स्टडी
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सूर्य की संरचना और उत्पत्ति की जानकारी जुटाना
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फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य के सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अध्ययन करेंगे पेलोड्स
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आदित्य एल-1 के जरिये हम दूसरी गैलेक्सी बारे में जानकारी पाने की कोशिश
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मिशन के जरिये हासिल डाटा, भविष्य के दूसरे मिशन के लिए साबित हो सकते हैं कारगर
अपने साथ क्या ले जाएगा आदित्य एल-1?
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आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट
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प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य
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सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
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हाई एनर्जी L-1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
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मैग्नेटोमीटर भी साथ ले जाएगा आदित्य
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आदित्य एल-1 अपने साथ कुल 7 पेलोड्स लेकर जाएगा
अब तक कौन-कौन से देश भेज चुके हैं सूर्य मिशन ?
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भारत से पहले 22 मिशन सूर्य पर भेजे जा चुके हैं
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सूर्य का अध्ययन करने के लिए अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी शामिल
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सूर्य का अध्ययन करने के लिए सबसे अधिक सूर्य मिशन नासा ने भेजे
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नासा ने अकेले 14 सूर्य मिशन भेजे हैं
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यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी नासा के साथ मिलकर 1994 में सूर्य मिशन भेजा था
क्या है एल-1 प्वाइंट ?
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फिजिक्स में, लार्ज्रेंज पॉइंट्स ऐसे पॉइंट्स होते हैं जहां, दो-पिंडो वाली गुरुत्वाकर्षण प्रणाली में, एक छोटी वस्तु को जब वहां रखा जाता है तो वह स्थिर रहती है.
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सूर्य और पृथ्वी जैसे दो-पिंड सिस्टम के लिए, लार्ज्रेंज बिंदु ऐसे ऑप्टिम पॉइंट्स बन जाते हैं जहां स्पेसक्राफ्ट कम ईंधन की खपत के साथ बने रह सकते हैं.
लॉन्च के बाद कैसे जाएगा भारत का सूर्ययान ?
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पहले इसे पृथ्वी की निम्न कक्षा में रखा जाएगा. फिर, कक्षा को अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा.
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आखिर में स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर, लार्ज्रेंज बिंदु 1 की ओर धकेल दिया जाएगा.
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पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, आदित्य-एल1 का क्रूज स्टेज शुरू होगा, जिसके बाद यह लार्ज्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में प्रवेश करेगा.
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इसरो के अनुसार, पृथ्वी से लार्ज्रेंज बिंदु 1 तक का सफर पूरा करने में लगभग चार महीने लगेंगे.
सूर्ययान में कौन-कौन से पेलोड्स लगे है ?
आदित्य-एल1 पर ऑन-बोर्ड कुल सात पेलोड हैं. इनमें से चार रिमोट सेंसिंग पेलोड्स हैं और तीन इन-सिटु पेलोड्स.
रिमोट सेंसिंग पेलोड्स
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विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) : कोरोना/इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी
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सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) : प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर इमेजिंग- नैरो और ब्रॉड बैंड
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सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS) : सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
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हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) : हार्ड एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
इन-सिटु पेलोड्स
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आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX)
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प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA)
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ऐडवांस्ड ट्राई-एक्सल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स
क्या करेगा आदित्य-एल1 ?
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सूर्य के ऊपरी वायुमंडल (रेडियेशन और कोरोना) के डायमामिक्स का अध्ययन.
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क्रोमोस्फीयर और कोरोना की हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन और फ्लेयर्स की शुरुआत का अध्ययन.
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सौर कोरोना और इसकी हीटिंग तंत्र का फिज़िक्स.
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कोरोनल और कोरोनल लूप्स प्लाज्मा का निदान : Temp, Velocity और Density
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सीएमई का विकास, गतिशीलता और उत्पत्ति
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सौर कोरोना में चुंबकीय क्षेत्र टोपोलॉजी और चुंबकीय क्षेत्र माप.
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अंतरिक्ष मौसम के चालक (सौर हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता).