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ISRO और NASA द्वारा निर्मित NISAR सैटेलाइट जल्द भेजा जाएगा भारत, जानें इसकी खासियत

इसरो और नासा के द्वारा मिलकर बनाये गए सैटेलाइट NISAR को जल्द ही लॉन्च के लिए भारत रवाना किया जाएगा. यह सैटेलाइट इस समय अपने अंतिम चरण पर है. इस सैटेलाइट को भारत भेजने से पहले वैज्ञानिकों ने विदाई समारोह का आयोजन किया और एक दूसरे को शुभकामनाएं भी दी.

NISAR Satellite: नासा और इसरो द्वारा तैयार किया जा रहा NISAR सैटेलाइट अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है और इसे भारत भेजे जानें में भी कुछ ही दिनों का समय बचा हुआ है. वैज्ञानिकों ने इस सैटेलाइट को भारत भेजने की तैयारी भी पूरी कर ली है. बता दें इस सैटेलाइट को भारत भेजने से पहले वैज्ञानिकों ने विदाई समारोह का आयोजन किया और इस समारोह के दौरान सभी वैज्ञानिकों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं भी दी. इस विदाई समारोह में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ, जेपीएल के निदेशक लॉरी लेशिन और नासा मुख्यालय के कई बड़े वैज्ञानिक मौजूद थे. बता दें यह सैटेलाइट प्राकृतिक खतरों, समुद्र के लेवल में उतार चाढव और भूजल के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिक तंत्र, गतिशील सतरों और बर्फ के मास को नापेगा और इसके साथ ही अन्य तरह की तकनीकी सहायता भी प्रदान करेगा.

इस महीने के अंत में भेजा जाएगा भारत

नासा और इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक पृथ्वी-अवलोकन सैटेलाइट सितंबर में संभावित प्रक्षेपण के लिए इस महीने के अंत में भारत भेजा जाएगा. यह उपग्रह पृथ्वी की भूमि और बर्फ की सतहों का अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने भारत में भेजे जाने से पहले नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) उपग्रह के अंतिम विद्युत परीक्षण की निगरानी के लिए कल अमेरिकी राज्य कैलिफोर्निया स्थित नासा की जेट प्रणोदन प्रयोगशाला (जेपीएल) का दौरा किया.

विज्ञान उपकरण के रूप में रडार की क्षमता… सोमनाथ

सैटेलाइट को भारत भेजे जाने से पहले जेपीएल में आयोजित औपचारिक समारोह में सोमनाथ ने कहा- यह मिशन एक विज्ञान उपकरण के रूप में रडार की क्षमता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन होगा और हमें पृथ्वी की गतिशील भूमि और बर्फ की सतहों का पहले से कहीं अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद करेगा. कार्यक्रम में दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के वरिष्ठ वैज्ञानिक मौजूद थे. इसरो और नासा ने 2014 में 2,800 किलोग्राम वजनी उपग्रह बनाने के लिए हाथ मिलाया था. मार्च 2021 में, इसरो ने जेपीएल द्वारा निर्मित एल-बैंड पेलोड के साथ एकीकरण के लिए भारत में विकसित अपने एस-बैंड एसएआर पेलोड को नासा को भेजा था. (भाषा इनपुट के साथ)

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