Jharkhand Pollution : भारत में 2021 की तुलना में 2022 में सूक्ष्म कण प्रदूषण में 19.3 प्रतिशत की गिरावट रिकॉर्ड की गई है. यह बांग्लादेश के बाद दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी गिरावट है. प्रदूषण में आयी इस कमी के कारण प्रत्येक भारतीय नागरिक की जीवन प्रत्याशा में औसतन 51 दिन की वृद्धि हुई है. इस संबंध में जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की वार्षिक रिपोर्ट ‘वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक-2024’ से सामने आई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कणीय प्रदूषण में सबसे बड़ी गिरावट पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और बांकुड़ा जिलों में नजर आया. झारखंड के धनबाद, पूर्वी और पश्चिम सिंहभूम तथा बोकारो में भी प्रदूषण घटा है. इनमें से प्रत्येक जिले में पीएम 2.5 सांद्रता में 20 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है. यही नहीं, गुजरात के सूरत शहर में प्रदूषण में 20-30 प्रतिशत तक की कमी आयी है.
भारतीयों की जीवन प्रत्याशा 3.6 वर्ष हो सकती है कम
रिपोर्ट में इस बात को लेकर अलर्ट किया गया है कि यदि भारत डब्ल्यूएचओ के वार्षिक पीएम 2.5 सांद्रता मानक 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को पूरा करने में विफल रहता है, तो भारतीयों की जीवन प्रत्याशा 3.6 वर्ष कम हो सकती है. पीएम 2.5 हवा में मौजूद छोटे प्रदूषक कण होते हैं. भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में प्रदूषक कणों के स्तर में गिरावट के लिए मुख्य रूप से अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियां हैं. भारत में वर्ष 2022 में पीएम 2.5 सांद्रता लगभग नौ माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी, जो 2021 की तुलना में 19.3 प्रतिशत कम है.
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सरकार की नीतियों की तारीफ
रिपोर्ट में भारत सरकार की नीतियों की तारीफ की गयी है. कहा गया है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन पर भारत के प्रमुख कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम’ के तहत आने वाले शहरों में पीएम 2.5 सांद्रता में औसतन 19 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली, जो जिले इस कार्यक्रम के तहत नहीं आते थे, उनमें 16 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी. इसमें भारत के स्वच्छ ईंधन कार्यक्रम ‘प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना’ की भी प्रशंसा की गयी है. भारत में रिहायशी क्षेत्र में उत्सर्जन में कमी के लिए इस योजना को श्रेय दिया गया है.
(इनपुट पीटीआई)