कर्नाटक में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो सकी.
कर्नाटक में नहीं चला मोदी-शाह का जादू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 मई को हुए राज्य की 224 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव के लिए 19 रैलियों को संबोधित किया था और छह रोड शो कर भाजपा के चुनाव प्रचार को आक्रामक रूप दिया था. पार्टी ने उनके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई शीर्ष नेताओं को राज्य के चुनाव प्रचार में लगाया था. निवर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से जब पूछा गया कि क्या मोदी या शाह का जादू इस चुनाव में नहीं चला तो उन्होंने कहा कि इस बारे में नतीजों के विश्लेषण के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
65 सीटों पर सिमट गयी बीजेपी
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जहां 136 सीटें मिली, वहीं बीजेपी केवल 65 सीटों पर सिमट गयी. भाजपा ने वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
बसवराज बोम्मई ने बताया, कांग्रेस से किस मामले में पिछड़ गयी बीजेपी
बसवराज बोम्मई ने हालांकि कहा कि कांग्रेस की ‘अधिक संगठित’ चुनावी रणनीति उसकी जीत के कारणों में से एक बड़ी वजह हो सकती है. कुछ पार्टी नेताओं ने निजी तौर पर माना कि ‘विमर्श के मोर्चे’ पर कांग्रेस का प्रचार उनके मुकाबले काफी आक्रामक था. उन्होंने रेखांकित किया कि वह चुनाव से महीनों पहले से बोम्मई सरकार पर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हमला कर रही थी. एक अन्य नेता ने माना कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार के आरोपों का भाजपा प्रभावी तरीके से मुकाबला करने में असफल रही.
ग्रामीण महिलाओं ने का बीजेपी को नहीं मिला साथ ?
भाजपा पदाधिकारी ने कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में लगता है कि बड़ी संख्या में महिलाओं ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया क्योंकि महंगाई एक मुद्दा था, खासतौर पर रसोई गैस की कीमत. एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी टिकट बंटवारे की रणनीति को और बेहतर कर सकती थी. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण सावडी को टिकट देने से इनकार किया गया जिसके बाद दोनों ने पार्टी छोड़ दी और अंतत: कांग्रेस में शामिल हो गए.
कांग्रेस के चुनावी वादे ने कर्नाटक की जनता को किया प्रभावित
भाजपा सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस द्वारा चुनाव से पहले मुफ्त बिजली, चावल और बेरोजगारी भत्ता देने की दी गई ‘गारंटी’ से भी मतदाताओं का एक बड़ा धड़ा विपक्षी पार्टी के पाले में गया. एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि सत्ता विरोधी लहर का मुकाबला करने के लिए पार्टी ने 75 नये चेहरों को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन उनमें से कुछ दागी थे और उनकी साफ छवि नहीं थी.