तीनों कृषि कानून को लेकर किसान अब भी आंदोलन कर रहे हैं. इस आंदोलन के 100 दिन पूरे हो रहे हैं. किसान लगातार दिल्ली बोर्डर पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. तीन महीने से ज्यादा वक्त किसानों ने सड़क पर विरोध प्रदर्शन करते ही बिताया है. केंद्र सरकार ने भी किसानों से बात करने की कोशिश की.
कई दौर की बातचीत के बाद भी किसान कानून में संशोधन के लिए राजी नहीं हुए उन्होंने तीनों कानून वापस लेने से कम में समझौता नहीं किया. किसान अपनी मांग से टस से मस नहीं हुए आज भी किसान तीानों कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं.
6 मार्च को क्या करेंगे किसान
अब आंदोलन के 100 दिन पूरे हो रहे हैं तो किसानों ने इस दिन आंदोलन तेज करने की योजना बनायी है. 6 मार्च को केएमपी एक्सप्रेस वे पर किसान प्रदर्शन करेंगे इस दौरान इस रास्ते को बंद रखने की योजना है. देशभर में इस दिन अलग- अलग कार्यक्रम आयोजित होंगे जिसमें किसान विरोध प्रदर्शन करेंगे. कई जगहों पर जहां किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं इन कानूनों के खिलाफ अपनी आवाज और तेज करेंगे.
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विधानसभा चुनावों में भी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश
पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी किसान इस मुद्दे को जनता के बीच रखना चाहते हैं. किसान उन राज्यों में जनता के बीच इस बात को रखना चाहते हैं केंद्र की भाजपा सरकार किसानों की आवाज को अनदेखी कर रही है. किसान इस रणनीति के जरिये भाजपा पर राजनीतिक दबाव बनाना चाहते हैं.
क्या है आगे की रणनीति
आगे की रणनीति भी किसानों ने बना रखी है. 8 मार्च महिला दिवस के दिन भी किसान अलग ऱणनीति के तहत अपने आंदोलन को आगे ले जायेगे. 8 मार्च को महिला किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया है. प्रमुख धरना प्रदर्शन स्थल का संचालन इस दिन महिलाएं करेंगी और अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश करेंगी. संयुक्त किसान मोरचा इस दिन महिला संगठन सहित कई दलों को अपने कार्यक्रम में शामिल करने की कोशिस करेगा. किसानों ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर 15 मार्च को निजीकरण विरोधी दिवस का भी समर्थन करने का ऐलान किया है.
सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों
किसान यह उम्मीद कर रहे हैं कि कई आंदोलन और विरोध प्रदर्शन मिलकर सरकार तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं ऐसे में किसान उन सभी लोगों से मिलकर अपनी आवाज तेज कर रहा है तो सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे हैं. किसानों ने इस दिन को कॉरपोरेट विरोधी दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया है.