नयी दिल्ली : निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी पर लटकाए जा चुके चारों दोषियों में शामिल 26 वर्षीय विनय शर्मा को जेल के नियमों को तोड़ने पर सबसे अधिक सजा मिली थी. उल्लेखनीय है कि विनय शर्मा को अन्य दोषियों अक्षय सिंह (31), मुकेश सिंह (32) और पवन गुप्ता (25) के साथ शुक्रवार को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई.
जेल अधिकारी ने बताया कि तिहाड़ जेल में विनय पेंटिंग सीख रहा था और उसे सात साल में 11 बार नियमों को तोड़ने के लिए सजा मिली थी जबकि पवन को आठ बार, मुकेश को तीन बार और अक्षय को एक बार नियम तोड़ने के लिए गत सात साल में सजा मिली.
अधिकारी ने बताया कि छोटी-मोटी लड़ाई करने पर परिवार से मुलाकात के समय में कटौती और गंभीर परेशानी उत्पन्न करने पर बैरक बदलने जैसी सजा दी गई. उन्होंने बताया कि विनय ने 2015 में एक वर्षीय स्नातक उपाधि पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया, लेकिन उसे पूरा नहीं किया.
अगले साल 2016 में उसने मुकेश, पवन और अक्षय के साथ दसवीं कक्षा में प्रवेश लिया और परीक्षा में शामिल हुए लेकिन उत्तीर्ण नहीं हुआ. अधिकारी ने बताया कि जेल में काम कर विनय ने 39 हजार रुपये, अक्षय ने 69 हजार रुपये और पवन ने 29 हजार रुपये कमाये. हालांकि, मुकेश ने काम नहीं किया.
उन्होंने बताया कि दैनिक मजदूरी के रोजाना अर्जित इस राशि को उनके परिवार को सौंप दिया है. रूप में दो अधिकारी ने बताया कि सात साल के कारावास के दौरान अक्षय सिलाई का काम और गेंहू पीसने का काम करता था, पवन जेल की कैंटीन में काम करता था जबकि विनय सहायक का काम करता था.