अयोध्या में 22 जनवरी को राम लला मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान हो जाएंगे. इस दिन भगवान श्रीराम के नवनिर्मित मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 दिनों का विशेष अनुष्ठान भी शुरू कर दिया है. मंदिर निर्माण का कार्य अभी जारी है, हालांकि बताया जा रहा है कि 2024 के आखिर तक इसे पूरा कर लिया जाएगा.
लाखों-करोड़ों लोगों का सपना होगा सच
22 जनवरी को जब राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी, तो लाखों-करोड़ों लोगों का सपना सच हो जाएगा, जिसे उन्होंने कई साल पहले देखा था. जिसमें बीजेपी के फ्रायरब्रांड नेता और देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का नाम भी शामिल है. जब भी राम मंदिर की चर्चा होगी, तो आडवाणी पंक्ति में पहले नंबर पर खड़े किए जाते रहेंगे. आडवाणी ने राम मंदिर की नींव रखी, तो नरेंद्र मोदी इसका लोकार्पण करेंगे. पीएम मोदी को आज दुनिया के सबसे ताकतवर प्रधानमंत्री के रूप में जाना जाता है, लेकिन उन्हें तराशने में आडवाणी की भूमिका रही है.
आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली, तो सारथी थे नरेंद्र दामोदर दास मोदी
जब लाल कृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा निकाली थी, तो उस रथ के सारथी नरेंद्र मोदी थे. गुजरात में आडवाणी की रथ यात्रा को सफल बनाने में मोदी जी की बड़ी भूमिका रही थी.
आडवाणी ने सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू करने की घोषणा की थी
लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकालने की घोषणा की थी. 25 सितंबर 1990 को उन्हें अपनी यात्रा की शुरुआत की. एक गाड़ी को रथ का स्वरूप दिया गया. यात्रा शुरू करने से पहले आडवाणी ने एक नारा दिया था, सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे. बताया जाता है कि आडवाणी अपनी रथ को लेकर जिन-जिन जगहों से गुजरे उनका भव्य स्वागत किया गया. लोगों को आस्था और राम मंदिर निर्माण को लेकर उतनी जोश थी कि लोगों ने रथ की पूजा की और पहियों की धूल को अपने माथे पर लगाते. आडवाणी ने अपने लेख ‘श्रीराम मंदिर: एक दिव्य स्वप्न की पूर्ति’ में लिखा, एक ओर, आंदोलन को व्यापक जन समर्थन प्राप्त था, वहीं, अधिकांश राजनीतिक दल इस आंदोलन का समर्थन करने से इसलिए कतरा रहे थे, क्योंकि उन्हें मुस्लिम वोट खोने का डर था. वे वोट-बैंक की राजनीति के लालच में आ गए और उसे धर्मनिरपेक्षता के नाम पर उचित ठहराने लगे.
बिहार में आडवाणी की रथ को लालू प्रसाद सरकार ने रोका, हुई थी गिरफ्तारी
लाल कृष्ण आडवाणी की रथ जब बिहार पहुंची तो तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उसे आगे बढ़ने से रोक दिया. आडवाणी जी को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें झारखंड के दुमका जेल में नजरबंद कर दिया गया. 30 अक्टूबर 1992 को आडवाणी के रथ को अयोध्या पहुंचना था. लेकिन 22 अक्टूबर को उन्हें रोक दिया गया और गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि तय तारीख के अनुसार कारसेवक अयोध्या पहुंच गए. उस समय उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर कारसेवकों पर पुलिस ने गोलियों की बौछार कर दी थी. दावा किए जाता है कि उस गोलीकांड में करीब 55 लोगों की मौत हुई थी. हालांकि पुलिस ने 17 लोगों की मौत की पुष्टि की थी.
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बाबरी मस्जिद विध्वंस
30 अक्टूबर 1992 में विश्व हिंदू परिषद ने बाबरी मस्जिद के बगल में राम मंदिर निर्माण की बात कही थी. उसके बाद 28 नवंबर 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने कार सेवकों को 6 दिसंबर को भजन करने का आदेश दिया था. उस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी वहां पहुंचे. 6 दिसंबर को जब आडवाणी बाबरी मस्जिद की जगह पर पहुंचे तो, वहां अशोक सिंघल, विजयाराजे सिंधिया, उमा भारती, विनय कटियार सहित लाखों की संख्या में लोग पहले से मौजूद थे. दोपहर के समय कुछ कार सेवक मस्जिद के गुंबद पर चढ़ने लगे. आडवाणी ने कारसेवकों को ऐसा करने से रोका, लेकिन भीड़ नहीं मानी और देखते ही देखते कारसेवकों ने मस्जिद का गुंबद गिरा दिया. उस घटना के बाद करीब तीन दशक तक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी गई. अंतत: 30 सितंबर 2020 को सीबीआई की विशेष अदालत ने आडवाणी को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
धर्मनिरपेक्षता के वास्तविक अर्थ को पुन: स्थापित करने का प्रतीक भी बन गया था राममंदिर आंदोलन: आडवाणी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि राम जन्मभूमि आंदोलन का प्राथमिक उद्देश्य अयोध्या में श्री राममंदिर का पुनर्निर्माण था और यह छद्म धर्मनिरपेक्षता के हमले के कारण (धूमिल हुए) धर्मनिरपेक्षता के वास्तविक अर्थ को पुन:स्थापित करने का प्रतीक भी बन गया. उन्होंने कहा कि आगामी 22 जनवरी, 2024 के विशेष अवसर से पहले पूरे देश का वातावरण सचमुच राममय हो गया है. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए संतुष्टि का क्षण है, न केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के एक गौरवान्वित सदस्य के रूप में, बल्कि हमारी गौरवशाली मातृभूमि के एक गर्वित नागरिक के रूप में भी. उन्होंने कहा कि वह धन्य हैं कि वह अपने जीवनकाल में इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनेंगे. आडवाणी ने कहा, मैं विनम्रता से कहता हूं कि नियति ने मुझे 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक श्रीराम रथयात्रा के रूप में एक महत्त्वपूर्ण कर्तव्य निभाने का अवसर दिया.
राम मंदिर का निर्माण नियति ने तय किया, इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी को चुना: आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी ने ‘राष्ट्र धर्म’ पत्रिका के आगामी विशेष संस्करण में प्रकाशित एक लेख में कहा है कि नियति ने तय किया था कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनाया जाएगा और उसने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुना. 33 साल पहले निकाली गई रथ यात्रा का जिक्र करते हुए आडवाणी ने कहा कि उनका मानना है कि अयोध्या आंदोलन उनकी राजनीतिक यात्रा में सबसे निर्णायक और परिवर्तनकारी घटना थी जिसने उन्हें भारत को फिर से खोजने और इस प्रक्रिया में खुद को फिर से समझने का मौका दिया.
राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में कैसी होगी सुरक्षा व्यवस्था?