Lateral Entry: संघ लोकसेवा आयोग ने केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के प्रमुख पदों पर ‘लेटरल एंट्री’ के जरिये 45 पदों पर विशेषज्ञों के नियुक्ति की अधिसूचना 17 अगस्त को जारी की. इस फैसले के बाद सियासत शुरू हो गयी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान के बाद एनडीए के सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी(रामविलास पासवान) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी कहा है कि इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष उठायेंगे. उनकी पार्टी लेटरल इंट्री के पक्ष में नहीं है. उनकी पार्टी का स्पष्ट रूप से मानना है कि किसी भी तरह की सरकारी नियुक्ति में आरक्षण के प्रावधानों का पालन होना चाहिये. इससे पहले राहुल गांधी ने सरकार के इस फैसले को पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण के खिलाफ करार दिया. राहुल गांधी के बयान पर भाजपा ने कहा कि लेटरल एंट्री का फैसला यूपीए सरकार के दौरान लिया गया था और अब राहुल गांधी का विरोध कांग्रेस के पाखंड को दर्शा रहा है.
सपा, बसपा, राजद भी खिलाफ
कांग्रेस के अलावा सपा, बसपा, राजद और अन्य दलों ने भी केंद्र सरकार के फैसले को आरक्षण के खिलाफ बताया है. इस मामले पर सरकार को घेरने के लिए विपक्ष आरक्षण को हथियार बना रही है. लोकसभा चुनाव के दौरान आरक्षण और संविधान खत्म करने के विपक्ष के आरोप से भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. लोकसभा चुनाव में विपक्ष को आरक्षण के मुद्दे पर मिले सियासी लाभ का परिणाम है कि विपक्ष लेटरल एंट्री के मसले पर सरकार के खिलाफ आक्रामक रवैया अपना रहा है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोमवार को एक बार फिर राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री को दलितों आदिवासियों और पिछड़ों के अधिकार पर हमला करार देते हुए कहा कि यह भाजपा संविधान को नष्ट कर बहु जनों से आरक्षण छीनने का प्रयास कर रही है.
आरक्षण के मुद्दे को धार देकर सियासी लाभ लेने की कोशिश
लेटरल एंट्री के जरिये नियुक्ति को आरक्षण से जोड़कर विपक्ष भाजपा को आरक्षण विरोधी साबित करने की कोशिश में है. इस साल के अंत में झारखंड, महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव होना है. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है. जबकि महाराष्ट्र और झारखंड में भी जल्द चुनाव की घोषणा होगी. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश आरक्षण जैसे संवेदनशील मसले पर भाजपा को बैकफुट पर लाकर सियासी लाभ लेने की है. लोकसभा चुनाव के दौरान आरक्षण और संविधान खत्म करने के विपक्षी नैरेटिव का नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा है. कांग्रेस और विपक्ष लेटरल एंट्री के जरिये नियुक्ति को आरक्षण से जोड़कर दलित और पिछड़ों को यह संदेश देने की कोशिश में हैं कि भाजपा का मकसद आरक्षण को किसी तरह खत्म करना है. कांग्रेस का मानना है कि अगर यह नैरेटिव काम कर गया तो विधानसभा चुनाव में पार्टी को अच्छी सफलता मिल सकती है. वहीं भाजपा भी विपक्ष के गेम प्लान को समझ कर आक्रामक रणनीति अपनाने की दिशा में काम रही है. भाजपा का कहना है कि कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में बनी दूसरी प्रशासनिक सुधार आयोग ने इसकी सिफारिश की थी. लेकिन कांग्रेस जनता को गुमराह करने के लिये इस तरह का हथकंडा अपना रही है. नियुक्ति की प्रक्रिया काे पारदर्शी बनाया है, पेशेवर लोग को लाया जा रहा है, जिससे उसके अनुभव से देश को लाभ मिले.
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