Liquor Scam: दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश केवी विश्वनाथ की खंडपीठ ने सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने प्रवर्तन निदेशालय की दलील पर सवाल उठाते हुए कहा कि जांच एजेंसी दावा करती है कि सिसोदिया के आवेदन के कारण निचली अदालत में सुनवाई शुरू होने में देरी हुई, वहीं दूसरी ओर जांच एजेंसी 4 जून 2024 तक अंतिम आरोप पत्र दाखिल कर ट्रायल शुरू होने की बात कहती है.
जांच एजेंसी के दावे पर अदालत ने उठाया सवाल
पीठ ने कहा कि दिल्ली आबकारी नीति में अंतिम आरोप पत्र 28 जून को दाखिल किया गया और फिर शीर्ष अदालत को बताया गया कि पूरक आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी है. इससे जाहिर होता है कि जब तक सारे आरोप पत्र दाखिल नहीं हो जाते हैं ट्रायल शुरू नहीं हो पायेगा. अब जांच एजेंसी कह रही है कि आरोपी के कारण देरी हो रही है, नहीं तो ट्रायल शुरू हो जाता. इन दलीलों में विरोधाभास दिखता है. न्यायाधीश विश्वनाथ ने जांच एजेंसी से पूछा कि इस मामले में ट्रायल कब तक खत्म हो सकता है. इसपर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सिसोदिया ट्रायल में देरी के आधार पर जमानत की मांग कर रहे हैं, लेकिन ट्रायल में सिसोदिया जानबूझकर देरी करने के तरीके अपना रहे हैं. अदालत में देरी के लिए बेवजह के आवेदन को डाला जा रहा है. संभव है कि 12 अगस्त से ट्रायल शुरू हो जाए और रोजाना इस मामले की सुनवाई होगी.
सिसोदिया की दलील
सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा कि निचली अदालत ने उनके सभी आवेदन को स्वीकार किया है. पहले भी सबूतों को नष्ट करने के आधार पर जमानत का विरोध किया गया है और एक बार फिर इसी को आधार बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ट्रायल 12 अगस्त से शुरू होने की बात कही जा रही है, लेकिन इसके लिए सभी 40 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करना होगा. एजेंसी सिर्फ सिसोदिया को जेल में रखने के लिए बहाने बना रही है. सिसोदिया के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. सिसोदिया पहले ही इस मामले में जो न्यूनतम सजा का प्रावधान है उसकी आधी सजा काट चुके हैं और इस कारावास की अवधि का कोई अंत नहीं है.